Monday, December 28, 2009

तुम क्या उनके परिवार के हो ?

बहुत दिनों से कुछ लिख नहीं रहा था ...लिखने की इक्षा मर गयी है ..क्या फायदा है लिख कर जो होना है वही होगा . अपने आप को कई बार इतना असहाय महसूस करता हूँ की ...

अभी १-२ दिन पहले देखा एक इंजीनियर(उपेन्द्र शर्मा) के परिवार वालों को फिर से धमकाया जा रहा है , उन्हें मारने की धमकी दि जा रही है . इन सब के बाद भी इनका केस थानेदार लिखने को तैयार नहीं है . इस समाचार को पढने के बाद मैंने सोचा क्यों न उस जिला के SP से संपर्क किया जाए और उनसे अनुरोध किया जाए की इस केस को दर्ज करें और उपेन्द्र शर्माऔर उनके परिवारवालों के हिफाजत का प्रयाप्त इन्तेजाम किया जाए .

आप सभी को जानकार शायद आश्चर्य होगा (वैसे नहीं होना चाहिए !!!) की जब मैंने SP साहब से बात की ती वो काफी गुस्से में आ गए और पूछे की "तुम क्या उनके परिवार के हो ?" मैंने कहा नहीं .. तो उनका जवाब था "अपने काम से मतलब रखो और ज्यादा दिमाग मत लगाओ , अभी तुम्हे जीवन में बहुत कुछ सीखना होगा ..."

इतना कह कर जनाब ने बिना मेरा जवाब सुने हिन् फ़ोन काट दिया ...

तब से ये प्रश्न मेरे जेहन में बार-बार आ रहा है "तुम क्या उनके परिवार के हो ?"

Friday, November 27, 2009

सत्येन्द्र दुबे जी को विनम्र श्रद्धांजलि...

सत्येन्द्र दुबे जी को विनम्र श्रद्धांजलि...

आज से ६ साल पहले आज के हिन् दिन सत्येन्द्र दुबे जी की निमर्म हत्या कर दी गयी थी . आज भी उनकी आत्मा न्याय के लिए तड़प रही होगी....क्या इस देश में ऐसे वीर सपूतों को न्याय मिलेगा कभी...या उनका बलिदान व्यर्थ हिन् जाएगा...और भविष्य में जो भी सत्य के पथ पर चलेगा उसे ऐसा धमकाया जाएगा की "देखें नहीं थे की सत्येन्द्र दुबे का क्या हाल हुआ था, तुम्हारा भी वही हश्र होगा " .
मैं जब भी इन विषयों के ऊपर सोचता हूँ तो अपने आप को बहुत निसहाय मह:सूस करता हूँ ...देश में न्याय प्रणाली के ऐसे हालत होने के बाद भी हमारे प्रधानमंत्री देश से हजारो मिल दूर बैठ कर देश के "जनतंत्र" पर गर्व फरमाते हैं ...
खैर छोडिये इन बातों को ...
अभी पिछले दिनों मैंने फिर से प्रयास किया था की सत्येन्द्र दुबे जी के केस में कुछ किया जाए . शैलेश गाँधी जी के article से प्रभावित होकर मैंने एक RTI PMO में डाला पर उसका कोई जवाब नहीं आया ..
कुछ व्यक्तिगत समस्याओं में उलझने के कारन फिर उसका अपील नहीं कर पाया . वैसे आप सभी को बता दूं की शैलेश गाँधी एक बड़े RTI एक्टिविस्ट थे, पर अब वो एक सरकारी मुलाजिम(मुख्य सूचना अधिकारी ) हो गए हैं ...और जब मैंने उनसे इस केस में मदद मांगी तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया ...

अभी भी CBI के वेबसाइट पर इस केस का पूरा अपडेट उपलब्ध नहीं है. आप एक नजर यहाँ डालें

आखिरी समाचार मीडिया में इस केस से जुडा २३ जून २००८ को आया था . इस केस से जुडा आरोपी फरार हो गया है ...ऐसे केस से जुड़े आरोपी को तो फरार करना हिन् पड़ता है, इसमें नया क्या है ...
मुझे पता नहीं उनके परिजन किस हालत में हैं, ...कभी इकषा है इस बारे में पता करून. देखिये कब हो पाता है ...

कुछ और ब्लॉग पर सत्येन्द्र जी की चर्चा है , एक नजर वहां भी डालें ...

ईमान मर नहीं सकता (एक कविता सत्येन्द्र दुबे जी को समर्पित ) केशवेन्द्र कुमार की तरफ से

कब बदलेगी यह नौकरशाही...

Wednesday, November 25, 2009

सीबीआई जाँच : वही ढाक के तीन पात...


योगेन्द्र पाण्डेय जी के केस की जाँच सीबीआई के द्वारा वही ढाक के तीन पात साबित हुई . जब सीबीआई टीम का नेत्रित्व श्री S P सिंह जी कर रहे the, तो उन्हें कुछ हिन् दिनों में हटा दिया गया, क्योंकि उनके निशाने पर कुछ बड़े लोग थे ...और एक नए ऑफिसर को इस कार्य के लिए नियुक्त किया गया श्री एम पि नायर को . श्री नायर आज तक एक बार भी घटना स्थल का मुआयना करने नहीं गए और पिछले महीने सीबीआई ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौप दी और इसे आत्महत्या घोषित कर दिया ...

वह रे सीबीआई जांच और इस देश की न्याय प्रणाली ...

इस से जुड़े समाचार के कुछ लिंक

Link 1

Link 2

और हाँ इस विषय पर एक चलचित्र भी बन रही है यहाँ देखें

Friday, October 16, 2009

इस दीवाली पर ज्ञान के दीप जलाएँ और पुस्तक दान करें...

एक बढ़ी हिन् अनूठी परियोजना के बारे में पता चला मुझे कुछ दिन पहले . पुस्तक दान करें और अगर जरुरत है तो अपनी जरुरत इस वेबसाइट पर रजिस्टर करें


यह एक बहुत हिन् बढियां प्रयास है कर्मयोग वेबसाइट के तरफ से .

तो आप सभी अपने आस-पास के जरूरतमंद संस्थाओं की सूचि ढूंढें और जायिए कल दीप पर्व के अवसर पर कुछ पुस्तकों का दान कर आयें...ये पुस्तकें कई जरूरतमंद बालकों के जीवन में प्रकाश भर देंगी...और यही तो दीपावली का उद्देश्य है...

आयिए हम और आप मिलकर ऐसा भारत(साथ में विश्व भी) बनाने का संकल्प ले जहाँ अज्ञान रुपी अन्धकार का कोई जगह ना हो...

Saturday, October 10, 2009

आँध्रप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के बाढ़ पीडितों की मदद करें ...

जैसा की आप सभी जानते हिन् हैं की पिछले दिनों भरी वर्षा के कारन आँध्रप्रदेश, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में बाढ़ की स्तिथि उत्पन हो गयी है . हम सभी भारत वासियों का कर्त्तव्य बनता है की इस संकट की घडी में हम अपने भाई-बहनों की मदद करें ...

आप अपना मदद उन तक कैसे पंहुचा सकते हैं इस से जुडी कुछ जानकारी मैं इस पोस्ट के जरिये दे रहा हूँ ...

गूँज संस्था की अपील :

Thanks for an overwhelming support to VASTRA-SAMMAN during the Joy of Giving week. Even before the campaign ended the horror of the massive floods sweeping Andhra Pradesh, Karnataka & Maharashtra started unfolding before us.
http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/8290305.stm

This is an URGENT APPEAL to join GOONJ in its campaign ‘RAHAT FLOODS’ to provide support to the victims of one of the worst floods in the last hundred years. The situation is grim and millions of people are affected by the devastation.

GOONJ has been working extensively in disaster relief for many years now. During the devastating Bihar floods last year, with large-scale civic participation, GOONJ channelised about 1500 tonnes of material. More recently, in Cyclone Aila in West Bengal, we were again actively involved in relief operations.

With a wide network of organizations and people present in most of the affected districts we are confident of reaching relief at the earliest possible. While the dispatch of material has already started the need based relief efforts will continue for the next few months.

Possible options for joining this campaign

Material support (Needed- large quantities of..)

Dry ration- Rice, pulses, biscuits, packed eatables
Water purifier tablets
Basic medicines
Sarees & Children clothing
Tarpaulins and thick plastic sheets
Bed sheets, Blankets & Mosquito nets
Export surplus/ Cotton cloth for making sanitary napkins
Stoves, cooking and water storage utensils/buckets
Lanterns, candles, matchbox, torch & batteries
Feeding bottles, ropes
all kind of usable clothing & footwear.

(For the list of collection centers, please log on to www.goonj.info)

Logistical support-

Transport support to reach the material to effected areas
Space for collection centers
Facilities for local pickups,
Transportation of material from different cities to GOONJ processing centers in a few cities.

Financial support-

Donations in India- Please send cash/cheque/draft in the name of GOONJ and send it to GOONJ.., J-93, Sarita Vihar, New Delhi- 76 (Kindly send your full name, address & Pan No. with the contribution for receipt/accounting purpose. (All donations to GOONJ in India are tax exempted u/s 80 G of IT act.)

Overseas donation can reach us through Cheque (in the name of GOONJ with your full particulars) or by wire transfer with an information on ruchikagoonj@gmail.com

Rotate it (valid only for overseas donations) through Wacovia Bank, New York swift code- 2000193008933, GOONJ, A/C No- 2591101004644
Bank- Canara Bank, H block, market Sarita Vihar, New Delhi- 76
Swift Code- CNRBINBBDFS

Contact- GOONJ

H.O Delhi- J-93, Sarita Vihar, New Delhi- 76 Tel.- 011-26972351, 41401216 E-mail- mailgoonj@gmail.com
Mumbai- Mr. Rohit Singh Tel.- 9322381600, Email- rohitgoonj1@gmail.com
Chennai- Mr. Vimal Tel.- 9842665320, Email- vimalgoonj@gmail.com
Kolkata- Mr. Iftikar Tel.- 9748691735, Email- iftikargoonj@gmail.com
Jalandhar- Ms. Daljeet Tel.- 9855023391, Email- daljeetgoonj@gmail.com
Saharsa (Bihar)- Mr. Sheoji Tel.- 9631568989, Email- sheojigoonj@gmail.com

Voluntary set ups-

Hyderabad- Mr. Ramana Tel.- 9849600002 Email- ramanatsv@yahoo.com & Ms. Nitu Tel.- 9908607775, Email- nitu.dhasmana@gmail.com (please call between 7.00 p.m. & 9.00 p.m. only)
Bangalore- Ms. Smitha Tel.- 9986213181 Email- goonjbangalore@gmail.com
Pune- Ms. Gauri Bapat Tel.- 9881090695 Email- goonjpune@gmail.com

Do spread the word, talk to your friends & relatives, help us to organise campaigns in the offices, residential areas and schools.

With best,

Anshu Gupta (Ashoka Fellow)
Founder Director
GOONJ..
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Doctors for you की अपील :
As you are aware of recent floods in Andra pradesh,karnataka and border districts of Maharashtra. Doctors for you is sending team of Doctors and relief material to start Flood relief work there as soon as possible.

Requirements are
Medical and paramedical volunteers minimum for 1 week.
Logistical support-
1) Transport support to reach the material to effected areas
2) Space for collection centers
3) Facilities for local pickups
Relief materials required:
  1. Saree and children cloths (salwar kameez not required)
  2. Tarpaulins and thick plastic sheets
  3. Baby Milk powder
  4. Chlorine tablets and Liquid Drops
  5. Dry ration (either in package of 10kg, 20kg, 50 Kg)-Rice, pulses, biscuits, packed eatables
  6. General Medicine
  7. Bed sheets, Blankets & Mosquito Net
  8. Stoves, cooking and water storage utensils/buckets
  9. Lanterns, candles, matchbox, torch & batteries
  10. Feeding bottles, ropes and also all kind of usable clothinG (Clothings PREFERABLY New One)
  11. Foot ware

Note:
It will be highly appreciable if the donation can be given in terms of monetary donation. The monetary donation allows the organization to save the cost of expenditure on collection of relief materials, transport, stipend to volunteers etc.
All donations are tax exampted under section 80G of Income tax act
Cheque should be in favour of " Doctors for you" payable at Mumbai.

To enable us to send you your tax-exempted receipt:

* Contributions via cheque, please ensure that full details is provided
* Contributions via direct bank-in, please fax us the remittance advice

If you do not receive your tax-exempted receipt within 2 weeks of your contribution, do notify us and we will attend to your request immediately.

For any query, you can call the organization at the following helpline numbers.
HELPLINE :- To support us you can call on

Mumbai: 09324334359 , 09920732168, 09821871945
Delhi: 09268661708

email:- doctorsforyou@gmail.com


आपका छोटा-से-छोटा प्रयास किसी की जिंदगी बचा सकता है . इस दीपावली के अवसर पर हम कुछ ऐसा करें की आफत में फसे हमारे भाई-बहनों की जिंदगी में थोडा उजियारा आये ...

एक छोटा सा समाचार और भी इसके साथ आपलोगों को बताना चाहूँगा की बलजीत(हॉकी खिलाडी) अब भारत आ गए हैं और उनके आँखों में रौशनी वापस आ गयी है ....फिर भी अभी पूरी रौशनी आने में समय लगेगा ऐसा डॉक्टरों का कहना है . भगवान करे की उनकी आँखों की रौशनी पूरी वापस आ जाए और वो फिर से एक बार भारतीय टीम के लिए खेल पायें ....

Tuesday, September 22, 2009

डॉक्टर पाटिल को भावभिनी श्रद्धांजलि...

शायद हममें से बहुतों को ये याद भी अब नहीं होगा की हम किस चंद्रकांत पाटिल की बात कर रहे हैं ...

हाँ वाही डॉक्टर चंद्रकांत पाटिल जो पिछले वर्ष बिहार के बाढ़-पीडितों की सेवा के लिए निस्वार्थ भावः से इतनी दूर आये ...जबकि वहीँ पटना में रहने वाले कई डॉक्टर और स्टुडेंट जब जाने से आनाकानी कर रहे थे . पर भगवान को भी अच्छे लोगों की मौजूदगी पृथ्वी पर अच्छी नहीं लगती और डॉक्टर पाटिल को अकाल मृत्यु का शिकार बना लिए ....

कल १ वर्ष हो गया उन्हें मरे हुए...काल रात जब मैंने उनके पिताजी को फ़ोन किया तो बड़े दुखी थे...बोल रहे थे की " मैंने तो सोचा की तू भी भूल गया ..." उन्हें इस बात का थोडा दुःख था की उनके लड़के के मरने १ साल बाद हिन् लोग भूल गए ...

पता नहीं क्यों हमलोग इसके आदि हो चुके हैं की अच्छे लोगों के काम को जल्दी हिन् भूल जाते हैं ...

जो डॉक्टर चंद्रकांत पाटिल को नहीं जानते हैं वो ये देखें : डॉक्टर चंद्रकांत पाटिल

Thursday, August 27, 2009

स्वाइन फ्लू और मस्तिष्क ज्वर

अभी पिछले दिनों आप सभी ने स्वाइन फ्लू के चर्चे तो जोरो-शोरों से सुने होंगे ...मैंने अपने पिछले पोस्ट में भी इसकी बात की थी. वैसे अब थोडा इसका माहौल ठंडा हो गया है ...

पर आये दिन कई सामान्य बिमारियों से इस से कहीं ज्यादा संख्या में लोगों की मौत होते रहती है और कोई समाचार भी नहीं मिलता है न हिन् उस से बचाव का कोई ठोस उपाय किया जाता है ...

कल रात में जब विविध भारती के कार्यक्रम सुनने के बाद आकाशवाणी की रात्रि प्रसारण का समाचार को सुना तो पता चला की गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में ६ बचों की मौत मष्तिस्क ज्वर से हो गई ...इस साल में अब तक तक़रीबन 2०० (१८९) बच्चे इस अस्पताल में आखिरी साँस गिन चुके हैं ...

केवल गोरखपुर हिन् नहीं देश के कई अन्य हिस्सों में भी मस्तिष्क ज्वर का परकोप फैला है ...और हर साल कितने हिन् लोग मरते हैं . हाँ पर इन मरने वालों में अधिकतर गरीब होते हैं ..तो ये समाचार फिर महतवपूर्ण क्यों हो ...

असम में कुछ दिन पहले इसी बीमारी से 1 दिन में ४४ लोगों की मौत हो गयी थी .....कहीं कोई ब्रेकिंग न्यूज़ बना था क्या किसी चैनल पर ....

इसके अलावा बिहार और राजस्थान में भी इसका काफी प्रकोप है ...

विशेषज्ञों के मुताबिक मृत्यु दर इस बीमारी में २८-५६ % तक होती है .

Saturday, August 22, 2009

स्वाइन फ्लू और परसाई जी ...

'स्वाइन फ्लू ' जब से आया और जिस तरह से मीडिया में इसका कवरेज हुआ मुझे हर दिन परसाई जी याद आते रहे ....काश अगर परसाई जी होते तो जरुर कुछ इसके ऊपर लिखते . इस बीमारी ने क्या-क्या नहीं किये...
अभी समाचारपत्र में पढ़ रहा था की एक 'स्वाइन फ्लू' का 'किट' आ गया है , कुछ लोग तरह-तरह की दवाएं इसके नाम पर बेच रहे हैं . गुजरात में आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री ४ गुनी बढ़ गयी है इस बीमारी के आने के बाद ....ये बाहर का बीमारी स्वदेशी दवाओं का प्रचार कर रहा है ..क्या कहने इसके . वैसे कई होम्योपैथ वाले भी 'एंटी स्वाइन फ्लू ' दवाएं धड्ले से दे रहे हैं ...

खैर छोडिये इन बातों को और आपलोग परसाई जी के एक पुराने निबंध का आनंद लीजिये . ये स्वाइन फ्लू पर तो नहीं पर डेंगू के ऊपर है . शायद इसमें अभी काफी त्रुटियां मिले आपको, उसके लिए माफ़ी चाहूँगा ...समय मिलते सुधार कर फिर इसे गद्यकोश पर भी चढा दूंगा..

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डेंगू,अध्यात्म और लेखक

इधर एक बीमारी फैली है . नाम उसका भंयंकर है- डेंगू . तेज बुखार और शरीर में बहुत पीडा. जोड़ टूट जाते हैं . जनभाषाओं में 'हड्डी-तोड़' बुखार कहते हैं. हिम्मततोड़ भी है . अगर इस बीमारी का नाम 'डेंगू' न होकर मधुरिमा होता, तो बीमारी के पहले कोई डरता नहीं . हो जाती तो दर्द कम अखरता . मरीज सोचता, यह तो मधुरिमा है . तपेदिक का नाम 'राजयक्ष्मा' कितना अच्छा है . और 'करोंरी थ्राम्बसिस' से रोगी समझ हिन् नहीं पता की जरा देर में खटिया कड़ी होनेवाली है . रोग कितना बुरा हो, नाम अच्छा होना चाहिए . अमरीकी शासक हमले को 'सभ्यता का प्रसार' कहते हैं, वो इतने बुरे नहीं लगते हैं . बम बरसते हैं, तो मरने वाले सोचते हैं सभ्यता बरस रही है . चीनी नेता लड़कों के हुल्लड़ को 'सांस्कृतिक क्रांति' कह्ते हैं, तो पित्नेवाले नागरिक सोचता है की मैं सुसंस्कृत हो रहा हूँ . सांस्कृतिक क्रन्तिवाले सुन्दर बाल-वाले नागरिक को पास की नाई के दुकान में घसीटकर उसका सर घुटवा देते हैं . बाल सवर्ण बुजुरुआ प्रविर्ती है न ! घुटे सर पर जब नागरिक हाथ फेरता होगा, तो कहता होगा-वह, सर पर सांस्कृतिक क्रांति हो गयी . यह 'सांस्कृतिक क्रांति' और आगे बढ़ी, तो कभी आदमी की तरह रहना भी बुजुरुआ प्रविर्ती घोषित हो जाएगा . तब किस जानवर की तरह जीना क्रान्तिकारी जीवन कहलायेगा ? अभी मालूम हो जाए तो शुरू कर दिया जाये .


कह रहा था की रोग कितना ही बुरा हो, उसकी कठोरता कम करने के लिए हम कम-से-कम इतना तो कर हीं सकते हैं, की उसका मीठा-सा नाम रख दें. आश्रम के नाम से चकलाघर चले तो भला हीं लगता है . नैतिक सुधर के नाम से अगर लड़कियाँ भगाई जाएँ, तो किसी को एतराज नहीं होता . डेंगू का नाम मधुरिमा होता, तो मेरा यह दोस्त घबडाकर न कहता- अरे यार, हमें भी डेंगू हो गया . दृश्य दूसरा होता . मैं पूछता - क्यों? बिस्तर पर क्यों पड़े हो ? वह मुस्कुराकर कहता-- थोडी मधुरिमा है . मीठा-मीठा दर्द हो रहा है . मगर नाम के डर के कारन वह १०१ डिग्री बुखार में ही आध्यात्मिक ज्ञान बडबडा रहा था . यों बिना बुखार के वह द्वान्धात्मक भौतिकवाद की बात करता है . बुखार में वह जिव, ब्रम्ह और माया की बात कर रहा था . संसार असार है . शरीर नाशवान है . आत्मा अमर है . ब्रम्ह ही सत्य है . मैंने कहा--यार, तू बड़ा भाग्यवान है . ऋषि-मुनि जिंदगी भर की तपस्या करते थे, तब उन्हें अध्यात्म-बोध होता था . और बाधाएं कितनी थीं--अप्सरा की, दुसरे ऋषि से इर्ष्या की . मगर तुझे सिर्फ १०१ डिग्री बुखार में ही अध्यात्म-बोध हो गया . क्या डेंगू अध्यात्मिक बीमारी है ? तपस्या और बुखार में क्या कोई फर्क नहीं है ? क्या अध्यातम एक तरह का 'डिलीरियम ' है ? अगर है तो इस वक्त शहर में हजारों ज्ञानी हैं. वे डेंगू के बुखार के जरिये आध्यात्मिक भूमिका में पहुच गए हैं .


यों मुझे शक हुआ की यह अभिनय कर रहा है . मैंने कहा भी की यार, १०१ डिग्री में इतना अध्यात्म नहीं आता . १०५-१०६ में आ सकता है . तुम थोड़े बुखार में नाटकीय संभावनाएं खोज रहे हो . राजनीती से लेकर बुखार तक में नाटकीयता प्रभावित करती है . चुनाव में ऊँची जाती का संपन्न उम्मीदवार किसान के घर जाकर कहता है - दददा आज तो हम तुम्हारे घर रोटी खाकर हीं जायेंगे . बाद में किसान सारे गाँव में कहता है - इत्ते बड़े आदमी हैं, पर घमंड बिलकुल नहीं है . (सावधान ! यह नुस्खा पहले आम चुनाव का है . आगामी चुनाव में कोई उम्मीदवार या नाउम्मीदावार इसे काम में न लायें . नुक्सान का जिम्मेदार मैं नहीं . बात यह है की जनता की समझ लगातार बढती गयी है, पर नेता की उतनी रह गयी है )
बात चुनाव की नहीं, नाटकीयता की है . बिना नाटक के काम करो कोई चर्चा नहीं होती . इसका सबसे 'ट्रेजिक' उदाहरण शत्रुघ्न है . दशरथ के चारो लड़कों में सबसे कम नाम इसी का हुआ. बाकी तीनों भाईओं में खूब नाटकीयता थी . मर्यादा पुरुषोतम की तो बात हीं निराली है . लक्ष्मण अजब नाटकीयता से पत्नी को छोड़कर भाई के साथ हो लिए . उन्हें तो अमर होना था. भारत खडाऊं रखकर नंदी ग्राम जा बसे . सब जिम्मेदारी से बरी . बेचारा शत्रुघ्न एक तो गृहस्थी चलाता रहा -- गृहस्थी चलाना बनवास से बड़ा पराक्रम है . फिर तो राज्य का शासन चलाता रहा . यह बड़ा काम था . अगर वह ऐसा न करता, तो राम लौटकर क्या पा लेते ? पर शत्रुघ्न की कोई खास क़द्र नहीं हुई . उसने नाटकीय अंदाज में कुछ नहीं किया .


शत्रुघ्न का दृष्टान्त मैएँ इसलिए दिया की यह अध्यात्म में दुबे मेरे मित्र के डिपार्टमेन्ट का जान पड़ता है . वह भुनभुनाया--जिसे डेंगू नहीं हुआ, वह इस कष्ट को नहीं समझ सकता . तुम्हें (इश्वर चाहेगा) होगा, तब जानोगे की यह नाटक है या नहीं . जानने के लिए होना जरुरी है . इसलिए लोग लेखक के लिए दुःख भोगना जरुरी समझते हैं . नहीं होता तो देने लगते हैं . मुझे डेंगू के दुःख की अनुभूति होनी चाहिए . तुलसीदास को बालतोड़ हुआ था . वे पके बालतोड़ को छूने की पीडा को चरम पीडा मानते थे . लिखा है की राम के राज्याभिषेक की तैयारी की बात सुनकर कैकेयी को ऐसी पीडा हुई जैसे पका बालतोड़ छू दिया हो . महाकवि को जरुर बालतोड़ हुआ था, वर्ना वे एस न लिखते . यह रिसर्च डाक्टरेट के लायक है .


मुझे डर पैदा हो गया . मित्र अध्यात्मिक भूमिका में कह रहा था की तुम्हे डेंगू होगा . शुरू मन से कही गयी बुरी बात जरुर फलवती होती है . क्षुब्ध कामना उतनी कारगर नहीं होती . पुराणों में तपस्वियों के वर और शाप का अनुपात १:३ है.कोई भी टटोल करके देख सकता है . सिद्ध पुरुष गाली ज्यादा देते हैं और भक्त सुनकर खुश होते हैं . मैं डरा की इस बीमार मित्र की बात सही न हो जाए. डर मेरे चारों तरफ है . शहर की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा हमेशा बिस्तर पर पड़ा रहता है . कम्पाउंडरों को डॉक्टर का दर्जा मिल गया है . जिन डॉक्टरों के पास कोई टिंक्चर लगवाने भी नहीं जाता था, उनके दिए हुए 'एंटी बायोटिक्स ' लोग खा रहे हैं .


कहते हैं डेंगू अपनी मौलिक बीमारी नहीं है . बहार से आयी है . फ्लू भी सुना है, जापान से आया है . सांस्कृतिक आदान-प्रदान की संधियाँ होती हैं, मगर रोग आ जाते हैं. बीमारियाँ अंतर्राष्ट्रीय हो गयीं. हम बाहर की बीमारी ग्रहण करने के लिए बहुत तत्पर रहते हैं . हमने अपनी कोई बीमारी किसी को दी है, मैं नहीं जनता . निर्यात अपना कमजोर है--सामान का हो , चाहे बीमारी का . सुना है, भारतीय गाँजा और भाँग पश्चिम में बहुत पसंद किये जाते हैं . ये धार्मिक नशा है . साधू गाँजा पीकर त्रिकालदर्शी हो जाता है . आल्ड्स हक्सले भी मानता था . नशों के बदले में हम बीमारी ले लेते हैं. पश्चिम को और नशा चाहिए, पूर्व को और बीमारी चाहिए . ज्यों-ज्यों पश्चिम का नशा बढ़ता जाता है, त्यों-त्यों इधर ज्यादा बीमारी भी बढती जाती है . अपनी अर्थ-व्यवस्था को डेंगू हो चूका है . लेटती है तो उठा नहीं जाता . बिठा दो, तो लुढ़क जाती है . पूछता हूँ --माताजी, यह क्या हो गया? कहती है-- बेटा, डेंगू हो गया . बहार से 'इन्फेक्शन' आया था . मेरे बेटे रूपये को भी डेंगू हो गया था . कितना दुबला गया बेचारा .


यह 'इन्फेक्सन' कौन फैलता है ? कहते हैं, आम तौर पर मछ्हर इसे फैलाते हैं . मच्छरों को बीमारी धोने के सिवा कोई काम नहीं. शेर हाथी या बैल 'इन्फेक्शन' नहीं ढोते. मछरों से सावधान रहना चाहिए . वे अब अंतर्राष्ट्रीय सम्पर्क्वाले हो गए हैं . जो बीमारी की जगहें हैं, वहां अपने यहाँ से मछ्हरों को नहीं जाने देना चाहिए . वे बीमारी ले आयेंगे . भारत सर्कार को इसका विशेष ध्यान रखा चाहिए . बीमारी देनेवाले देशों को अपने यहाँ से मछर न भेजा करें . पहले की असावधानी का नतीजा भुगत रहे हैं . डेंगू ले गया अर्थ-व्यवस्था को .

(लेखक को डेंगू हो गया . यह लेख इतना ही लिखा हुआ ८-१० दिनों तक पड़ा रहा . )

बीमारियाँ असहनशील हो गयी है . वे अपना मजाक और आलोचना बर्दास्त नहीं करती . मैं डेंगू के सम्बन्ध में मजाक कर रहा था . उसने बदला ले लिया . मुझे दबोच लिया . मेरा डर बढ़ गया है . बीमारियाँ बदले पर उतर आयीं हैं. मैंने कई बिमारियों को नाराज किया है . अगर वे सब सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक बीमारियाँ जिनका मैंने उपहास किया, बदला लेने लगीं तो लेखक का क्या होगा ? क्या बिमारियों से समझौता कर लूं ? कह दूं की तुम सब खूब फैलो . तुम्हारी जय हो . बस मुझे बचाती रहो .

--हरिशंकर परसाई

कहीं परसाई जी की तरह मुझे भी 'स्वाइन फ्लू' ना हो जाए ..:)

Tuesday, July 21, 2009

कोई बलजीत के लिए भी दुआ कर लो भाई...

बलजीत सिंह दध्वल, शायद ये नाम आपको कुछ भी याद नहीं दिलाता हो...अरे भाई याद भी कैसे आएगा, ना हिन् ये क्रिकेट से जुडा है, और ना हिन् फिल्मी दुनिया से फिर हमें कहाँ से याद आएगा ये नाम ...

तो चलिए आप सबको बता दूं की ये हमारे भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर का नाम है ...नहीं था...

अभ्यास सत्र के दौरान इनके आँख में चोट लग गयी और अब ये ईम्स डेल्ही में भर्ती हैं ...इनके रेटिना में चोट आई है और डॉक्टर बोल रहें हैं की एक हफ्ते के बाद हिन् कुछ पक्का कह सकते हैं की इनकी रोशनी वापस आ पाएगी की नहीं ...

अगर यही कोई क्रिकेट का खिलाडी होता या बॉलीवुड हस्ती तो लोग यज्ञ और न जाने क्या-क्या करते...पर इस गरीब हॉकी खिलाडी के लिए कोई दुआ भी नहीं...

एक अच्छी बात ये सामने आई है की हॉकी संघ बलजीत के ilaaj के सब kharch उठाने को तैयार है ..
आयी हम सब मिलकर प्रार्थना करें की बलजीत भाई की आँख जल्द-से-जल्द ठीक हो जाएँ और वो पुनः हॉकी खेल पायें ...
आमीन ...

चित्र साभार : इंडियन एक्सप्रेस

Tuesday, July 07, 2009

एक और ...

जी हाँ ये है रांची के वन विभाग के अधिकारी अनिल कुमार सिंह जी , जिन्होंने अपने हिन् विभाग के कुछ कर्मचारियों का काला चिट्ठा खोलने का प्रयास किया और हुआ क्या वही जो शाश्वत सत्य है "मौत" . एक नजर डालें The Telegraph की रिपोर्ट पर

दैनिक हिंदुस्तान की प्रस्तुति :

शनिव्ाार को अपराधियों ने राजधानी में पुलिस चौकसी के तमाम दाव्ाों को धता बताते हुए डोरंडा में सरशाम व्ान वि्ाभाग के एक रेंज ऑफिसर (रेंजर) को गोलियों से भून डाला। व्ान मुख्यालय से महज चंद फासले की दूरी पर इस घटना को अंजाम दिया गया। सामने जैप का मुख्यालय, डाकघर और पचास गज की दूरी पर ही रांची आइजी का सरकारी आव्ाास है। सरकारी कर्मियों, पुलिस और सुरक्षा जव्ाानों का यहां हमेशा जमाव्ाड़ा रहता है। हत्यारे घटना को अंजाम देने के बाद आराम से फरार हो गए। अंधेरे में तीर मार रही पुलिस हत्यारों का सुराग नहीं लगा पाई है। सूत्रों के मुताबिक व्ान वि्ाभाग में करोड़ों की ठेकेदारी हत्या की एक व्ाजह हो सकती है। इधर, अपने साथी रंज्ार की हत्या से व्ानकर्मी काफी गुस्से में हैं। रवि्ाव्ाार को संघ की आपात बैठक बुलाई गई है। इसमें आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। जानकारी के मुताबिक व्ान्य प्राणी प्रमंडल में बिल्डिंग वि्ाभाग के रेंज ऑफिसर अनिल कुमार सिंह हर दिन की तरह शाम करीब 6.30 बज्ो दफ्तर से अपनी मारुति व्ौन (संख्या बीआर-01-सी-0922) से लालपुर के आर्या होटल के समीप मोदी कांप्लेक्स स्थित घर के लिए निकले थ्ो। दफ्तर से सौ गज्ा की दूर ही घात लगाए अपराधियों ने उनपर दो गोलियां चलाईं। एक गोली अनिल सिंह के पंज्ारा में एव्ां दूसरी बायें हाथ के केहुनी को चीरती हुई पार निकल गयी। डाकघर के समीप होटल में बैठे लोगों ने गोली की आव्ााज्ा सुनी और उसी दिशा में दौडे। इनमें से कई व्ानकर्मी थ्ो। उन्होंने देखा कि रें’ा ऑफिसर अनिल सिंह व्ौन में खून से लथपथ पड़े हैं। उन्हें तत्काल मेन रोड के राज्ा अस्पताल ले ज्ााया गया। व्ाहां से उन्हें रिम्स भ्ोज्ा दिया गया। रिम्स में ज्ाांच के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। स्व्ा. सिंह मूल रूप से बिहार के सोनपुर के रहनेव्ााले थे। पटना के लोहानीपुर में भी उनका आव्ाास है।

Friday, July 03, 2009

एक कविता सत्य बोलने वालों के नाम ...

धूमिल जी की एक कविता चन्दन जी के सौजन्य से :

मुझसे कहा गया कि संसद
देश की धड़कन को
प्रतिबिंबित करने वाला दर्पण है
जनता को
जनता के विचारों का
नैतिक समर्पण है
लेकिन क्या यह सच है?
या यह सच है कि
अपने यहां संसद -
तेली की वह घानी है
जिसमें आधा तेल है
और आधा पानी है
और यदि यह सच नहीं है
तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को
अपनी ईमानदारी का मलाल क्यों है?
जिसने सत्य कह दिया है
उसका बुरा हाल क्यों है?

-- सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’

इसके साथ-साथ मेरा पिछला पोस्ट भी पढें

धूमिल जी की कुछ और कवितायें इस लिंक पे हैं :http://hindini.com/fursatiya/?p=129

Thursday, July 02, 2009

पांडिचेरी से बिहार तक सत्य बोलने वालों की एक हिन् सजा होती है ...

पांडिचेरी से बिहार तक सत्य बोलने वालों की एक हिन् सजा होती है ...

अपने देश में सत्य बोलने वालों का एक हिन् अंजाम होता है और वो है मौत और गुमनामी ...

एक नहीं अनगिनत लोग भरे पड़े हैं :

किसकी बात करूँ सत्येन्द्र दुबे जी की या मंजुनाथ जी की या फिर कुछ दिन पहले मरे योगेन्द्र पाण्डेय जी की ....वही कहानी दुहरायी जा रही है हर जगह . और हाँ अगर आपलोग सोचते हैं की CBI जाच से कुछ न्याय मिलेगा तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है ...ऐसी शहादतों ं को CBI चोरी और लूट का केस बना कर ख़तम कर देती है ...

बहुत गुस्सा आता है इस व्यवस्था पर, जिसका मैं भी एक अंग हूँ ....और अपनी अक्रमंयता पर भी...


और हाँ हम जनता भी कितना याद करते हैं इनको, एक दिन के अन्दर हिन् सब भूल जाते हैं ...मीडिया के पन्नों से भी इन लोगों का नाम यूँ हिन् तुंरत गायब हो जाता है ...

क्या करूँ बहुत असहाय महसूस करता हूँ ...पर कुछ तो करना है ...

Saturday, June 13, 2009

अनुत्रिन विद्यार्थियों के लिए एक सन्देश - ऑन डिमांड exam

भाई ये समय है १०विन १२विन और अन्य प्रतियोगिता परीक्षा के परिणामों के आने का ... जिनके बच्चे परीक्षा में उतीर्ण हुए हैं उनके घर माहौल है जश्न का, सभी दे रहे हैं उन्हें बधाइयाँ ...भाई मेरे तरफ से भी सभी सफल प्रत्यासियों को ढेरों बधाइयाँ....

पर मेरा मन हमेशा असफल प्रत्यासियों को लेकर ज्यादा चिंतित रहता है, उनके साथ क्या बीतती है ये मुझे पता है ....खुद गुजर चूका हूँ ऐसे दौर से ...क्या एक इम्तिहान में असफल हो जाना जिंदगी में असफल हो जाना है , क्या सारे रस्ते उस असफल विद्यार्थी के लिए बंद हो जाते हैं ...
नहीं जनाब एक से एक असफल लोग आगे जाकर जिवन में बहुत अच्छा काम किये हैं ...मेरी तो दिली इक्षा है की भविष्य में एक विदालय असफल बच्चों लिए खोलूं...

पर फ़िलहाल एक महतवपूर्ण जानकारी १०विन या १२विन में फ़ेल विद्यार्थियों लिए . अगर आप इस वर्ष अपने बोर्ड की परीक्षा में सफल नहीं हो सके और अपना साल बर्बाद नहीं करना चाहते हैं तो है एक रास्ता आपके लिए. ये मार्ग है NIOS(राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान) का

NIOS १०विन और १२विन में अनुत्रिन बच्चों लिए लिए
ON DEMAND EXAM की सुविधा प्रदान करता है . आप इस सुविधा का लाभ लेकर इसी वर्ष अपनी १०विन या १२ विन लिए इम्तहान में पास हो सकते हैं . ये काफी सरल है . इसमें बस एक कठिनाई है की इसका exam center केवल Noida में होता है , यानि आपको परीक्षा देने लिए लिए Noida जाना होगा .

विस्तृत जानकारी लिए लिए ये लिंक देखें

On Demand Exam detail for Secondary(10th standard)

On Demand Exam detail for Senior Secondary (12th Standard)

इसके अलावा आप फोन से भी संपर्क कर सकते हैं

0120-2402294, 2404914 (outside Delhi) (95120-2402294, 2404914) (From Delhi)



अगर आगे कोई भी दिक्कत हो तो मुझसे संपर्क करें, मैं यथासंभव मदद करने का प्रयास करूंगा ...हाँ भाई आपलोग मुझे NIOS का एजेंट मत समझ लेना ...:)


और सभी ब्लॉगर बंधुओं से अनुरोध है की इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाएं ...कोई बच्चा कहीं अपनी असफलता से मायूस हो कर कोई गलत कदम न उठा ले ....

हाँ इस पोस्ट के जरिये अपनी बहन गुडिया जिसने ३रे प्रयास में १२विन (विज्ञानं) प्रथम श्रेणी से उतीर्ण किया, उसे ढेरों बधाइयाँ देना चाहता हूँ ...गुडिया हमें तुम पर नाज है . तमाम मुश्किलों के बावजूद गुडिया ने कभी हार नहीं मानि और आखिर कर उसने सफल होकर दिखाया ...

इसी विषय पर एक पुराना पोस्ट भी पढें

Friday, June 12, 2009

कोसी से गंगा पदयात्रा

कोसी से गंगा तक एक पदयात्रा आयोजित होने जा रही है . विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ देखें


Wednesday, May 20, 2009

सादा नमक पर प्रतिबन्ध और गुटखा पर नहीं ...

वाह रे वाह इस देश की सर्कार और नियम . आप सभी को पता होगा की सादा नमक (raw साल्ट) पर प्रतिबन्ध है हमारे यहाँ. क्या ये सादा नमक गुटखा से भी ज्यादा खतरनाक होता है ? या गुटखा और आयोडीन नमक बनाने वाले व्यापारी वर्ग हैं जो सरकार को खूब मॉल-पानी देकर अपना उल्लू सीधा करवा रही है ....




सबसे आश्चर्य तब हुआ जब मैंने देखा की कक्ष क्षेत्र के कई गाँव में ३-४ थी में पढने वाले बच्चे गुटखा बेधड़क खा रहे थे . उन मासूम बच्चों को तो ये भी नहीं पता की वो क्या खा रहे हैं और उस से क्या नुकसान होगा. गुटखा के ऊपर ये लिखा होता की ये minor यानि बच्चों के लिए नहीं है ....पर कौन दुकानदार ये नियम देखता है उसे तो अपने मुनाफे से मतलब है ...वहीँ दूसरी तरफ गाँव के अन्य लोग भी कुछ ध्यान नहीं देते हैं ... मुझे खीज होती है ये सब देख कर क्या हर चीज के लिए हमें सरकारी नियम की बैसाखी चाहिए ?

अगर हर गाँव के कुछ बाद-बुजुर्ग और वहां के स्कूल के शिक्षक मिल कर गुटखा के खिलाफ मुहीम चलायें ें तो क्या मजाल की कोई बच्चा गुटखा खा ले....पर नहीं किसी को कुछ नहीं पड़ी है ....

वैसे ३-४ दिन के संछिप्त यात्रा में मैंने काफी गुटखे बच्चों से जमा किये और तक़रीबन १०० से ज्यादा बच्चों को इसके खतरे के बारे में थोडा प्यार से समझाया और थोडा डांटा भी.... वैसे मेरे पास भी काफी गुटखा जमा हो गया बिना पैसा खर्च किये, आप में से किसी को चाहिए क्या....:)

आप सभी को बता दूं की कक्ष के यात्रा में मैंने एक भी goitre घेंघे (गलगंड) के मरीज को नहीं देखा , जबकि सभी नमक बनाने वाले मजदूर तो सादा नमक हिन् खाते हैं, वहां कहाँ उनके पास ये ११ रूपये वाला आयोडीन युक्त नमक खाने का पैसा है गरीबों के पास ?



हैं ना ये आयोडीन का माजरा कुछ अजीब सा ...

Sunday, May 10, 2009

१५ पैसे से ११ रुपया कैसे बनाएं?

हाँ कोई मजाक मैं नहीं कर रहा हूँ ..आप जानते हैं क्या ये तरीका, अगर नहीं तो पढिये ये मेरा पोस्ट आपको पता चल जाएगा ..

अरे भाई जाईए गुजरात के कक्ष(KUTCH) क्षेत्र में फिर आपको इस पहेली का हल मिल जाएगा. इस क्षेत्र में एक खास समुदाय रहता है "Agarias" ये नमक बनाने का काम करते हैं .

ये नमक बना कर कंपनी को मात्र १५ पैसे prati kilo की कीमत पर बेचते हैं , और यही नमक बड़ी-बड़ी कंपनियां ११ रूपये किलो के भावः बेचती हैं. वो बेचारे गरीब भूखो मर रहे हैं और ये कंपनी वाले माला-मॉल हो रहे हैं.

पहले तो कुछ लोग खुदरा बिक्री खुद से जाकर शहर में कर लेते थे, पर जब से ये आयोडीन का चक्कर आया है,ं सादा नमक कौन खरीदेगा ...

इनकी व्यथा को देखने वाला कोई नहीं हैं ...

"गणतर" नाम की एक संस्था इन मजदूरों के बच्चों के पढाई के क्षेत्र में काम कर रही है . हमलोग गणतर और सृष्टी के साथ मिलकर एक यात्रा पर जा रहे हैं . शायद कुछ ज्यादा कर ना पायें इनके लिए पर इनके दुःख-दर्द को और करीब से देख पाउँगा ...और भविष्य में जो भी बन पड़ेगा वो करने का प्रयत्न भी करूंगा ....

वापस आने के बाद अपने अनुभव आप सभी के साथ विस्तार से बाटूंगा .....

Saturday, April 25, 2009

मौत के मुँह से बचाएँ...

आपलोगों को याद होगा की कुछ समय पहले हमने G रामालक्ष्मी के मदद के लिए आपलोगों से प्रारथना की थी. आप उनके बारे में मेरे पिछले पोस्ट में पढ़ सकते हैं ...

रामालक्ष्मी फिलहाल CMC वेल्लोर में हैं और भगवन का लाख-लाख शुक्र है की उनका HLA टेस्ट का सैम्पल उनके भाई के सैम्पल से match हो गया है. तो donor नहीं मिलने की समस्या तो ख़त्म हो गयी है पर वहीँ एक बुरा समाचार भी हैं ...रामालक्ष्मी के फेफङे में एक प्रकार का संक्रमण हो गया जो अगर समय रहते इलाज नहीं हुआ तो पुरे शरीर में फ़ैल सकता है ...और फिर बचना मुश्किल हो जायेगा .
इस से बचने का एक हिन् रास्ता है की उनका जल्द से जल्द BMT करवाया जाये .

BMT करवाने का पूरा खर्च तो तक़रीबन १२ लाख है पर शुरुआत करने के लिए कम से कम २ लाख अभी जल्द - से-जल्द चाहिए...
भगवान ने तो अपना काम HLA मैच ढूंढ कर कर दिया अब बाकी काम हम इंसानों के वश का है ....

तो आप क्या चाहते हैं एक व्यक्ति पैसे के अभाव में केवल अकाल मृत्यु का शिकार हो जाए ....अगर नहीं तो कृपया आगे आयें और सहयोग करें .

और ज्यादा जानकारी के लिए ये ब्लॉग देखें : http://saveramalakshmi.blogspot.com/

you can also send your contribution directly to CMC, vellore .

Send your DD or cheque in favour of
"The Treasure, Christian Medical College, Vellore "

On the back of DD/ Cheque please write the following details:

Patient name: G. Ramalakshmi

Patient Number: 430307-D



Your timely act can save some one life....please come forward...

Friday, April 17, 2009

आज बातें २ वेबसाइट के बारे में ...

हाँ भाई आप बोलेंगे लाखों वेबसाइट पड़े हैं दुनिया में ...फिर ऐसा क्या खास है इन २ वेबसाइट के बारे में ...अब आप पढिये और खुद हिन् फैसला कीजये की ये दोनों वेबसाइट में खासियत क्या है....

पहली वेबसाइट है : http://www.indianblooddonors.com/

यहाँ आप अपने रक्त के ग्रुप और contact detail रजिस्टर कर सकते हैं और फिर जरूरतमंद लोग आपको संपर्क कर सकते हैं. दूसरी सुविधा इस वेबसाइट पर ये भी है की आप यहाँ अपना request पोस्ट कर सकते हैं और शायद कोई आपका request देख कर आपसे संपर्क करें....मैं तो कहूँगा आप बुकमार्क कर लें इस वेबसाइट को हर दिन सुबह एक बार देखिये और पता कीजये आज कहीं आपके शहर में किसी को आपके ब्लड ग्रुप के ब्लड की जरुरत तो नहीं है...अगर है और आप देने में इच्छुक है तो जायिए और उनकी मदद कीजये....


दूसरी वेबसाइट है : http://www.givemedicines.org/

जैसा की अक्सर होता है डॉक्टर साहब बहुत सारा दवा लिखे देते हैं और फिर अंत में दवा ख़त्म होने से पहले हम भले-चंगे हो जाते हैं और फिर बची हुई दवा का आप क्या करते हैं? अक्सर ये बची दवाएं बर्बाद हो जाती है ..
तो आप इन बची दवाओं से किसी गरीब की जान बचा सकते हैं अरे हाँ भाई मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ...आप इस वेबसाइट पर दिए गए किसी भी NGOं को अपनी बची हुई दवाएं दे सकते हैं और वो इन दवाओं को जरुरत के मुताबिक गरीबों के ये दवा दे सकते हैं ....

इस मुहीम को ज्यादा-से-ज्यादा सफल बनाने के लिए हमें २ काम करना होगा:

पहला की जो दवा ले उसका expiry date नोट कर के रखें और हो सके तो सबसे आखिर में आप expiry date लिखा हुआ हिस्सा इस्तेमाल करें . ये बहुत जरुरी है की हम expiry date का ध्यान रखें .

और दूसरा आप इस वेबसाइट से ज्यादा-से-ज्यादा अच्छे NGOsं को जोडें ....

तो बताईएगा कैसा लगा जानकार इन दोनों वेबसाइट के बारे में ...आप भी जुड़े इस मुहीम से और अपने मित्रों अवं रिश्तेदारों को भी जोडें...

प्यार बाटते चलो...

Tuesday, April 14, 2009

भारत ने अज़लान शाह कप जीता पर ...

अभी पिछले दिनों भारतीय हॉकी टीम ने एक नया कारनामा कर दिखाया, १3 साल के अंतराल के बाद भारतीय टीम अज़लान शाह कप जितने में सफल हुई. सबसे पहले मैंें इस पूरी टीम और अन्य प्रबंधन सदस्यों को ढेरों मुबारकबाद देना चाहता हूँ इस विजय के लिए ....और आशा करता हूँ की एक बार फिर से भारतीय हॉकी का स्वर्णिम दिन वापस आएगा ....

पर अफ़सोस तो बस इस बात का है की चुनाव में व्यस्त नेतागण इतना तक भूल गए की हॉकी टीम को बधाई दी जाए ...यही अगर मामला क्रिकेट का होता तो अभी करोडों रुपयों की इनाम राशि की घोषणा हो जाती ...केंद्र राज्य सर्कार सभी इसके लिए आगे आते ....

इस तरह का दोगला बर्ताव करने के बाद लोग बोलते हैं की हॉकी और अन्य खेल में भारत अच्छा नहीं करता है ...तो बतायिए ना कैसे करे अच्छा....है की नहीं यह एक यक्ष प्रशन ?

खैर छोडिये इन बातों को और पढिये विस्तार से भारतीय जीत के समाचार को ....

साभार: BBC हिंदी सेवा

भारत ने अज़लान शाह कप जीता
संदीप सिंह
भारत ने चौथी बार अज़लान शाह हॉकी कप जीता है
भारत की हॉकी टीम ने रविवार को इपोह में मेज़बान मलेशिया को 3-1 से हराकर 18वाँ सुल्तान अज़लान शाह कप जीत लिया. भारत ने 13 साल के बाद ये ख़िताब जीता है.

भारत ने चौथी बार अज़लान शाह हॉकी प्रतियोगिता जीती है. इससे पहले भारतीय टीम 1985, 1991 और 1995 में विजेता रही थी.

इसके अलावा भारत 2006 में और 2008 में इस प्रतियोगिता के फ़ाइनल में पहुँचने में सफल रहा था.

भारत ने घरेलू दर्शकों के ज़बर्दस्त समर्थन के बीच खेल रही मलेशिया की टीम के ख़िलाफ़ शानदार प्रदर्शन किया.

आठवें मिनट में बढ़त

भारत ने मैच के आठवें मिनट में मलेशिया पर ज़ोरदार हमला बोला और अर्जुन हलप्पा के गोल की बदौलत 1-0 की बढ़त हासिल कर ली.

लेकिन भारतीय टीम इस बढ़त को ज़्यादा समय तक कायम नहीं रख सकी और तीन मिनट बाद ही अज़लॉन मिज़रॉन ने गोल दागकर मेज़बान टीम को बराबरी पर ला दिया.

शुरुआती बढ़त गँवाने के बावजूद भारतीय खिलाड़ियों ने हौसला नहीं खोया और विपक्षी खेमे पर दबाव बनाए रखा. बीसवें मिनट में भारत के प्रभजोत सिंह ने गोल लिया और भारत ने मलेशिया पर 2-1 की बढ़त हासिल कर ली.

मध्यांतर तक भारतीय टीम 2-1 से आगे थी.

मध्यांतर के बाद भी आक्रामक

मध्यांतर के बाद पाले तो बदले, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों के जीत के इरादे पहले से ज़्यादा मज़बूत थे.

मेज़बान टीम जहाँ बराबरी का गोल दागने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही थी, वहीं भारतीय खिलाड़ियों ने भी अपना आक्रामक खेल जारी रखा.

शिवेंद्र सिंह ने भारत के लिए तीसरा गोल दागा और ये मैच का आख़िरी गोल साबित हुआ.

इससे पूर्व, भारत ने सेमीफ़ाइनल में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 2-1 से शिकस्त दी थी.

Monday, March 30, 2009

पगडंडियों का जमाना - भाग -१

हरिशंकर परसाई जी का व्यंग्य "पगडंडियों का जमाना " का पहला भाग पढिये ....आप देखेंगे की ये आज के दौर में कितना सार्थक और सटीक बैठता है ...
copyright@ Harishankar Parsai
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मैंने फिर इमानदार बन्ने की कोशिश की और फिर नाकामयाब रहा .
एक सज्जन ने मुझसे कहा की एक परिचित अध्यापक से कहकर मैं उनके लड़के के नंबर बढ़वा दूं . यों मैं उनका काम कर देता, पर बहुत अरसे बाद उसी दिन मुझे इमान की याद आयी थी और मैंने पूरी तरह ईमानदार बन जाने की प्रतिज्ञा कर ली थी . सज्जन की बात सुनकर मुझे पुराणी कथाएँ याद आ गयीं और मैंने सोचा की प्रतिज्ञा करते मुझे देर नहीं हुई की ये इन्द्र और विष्णु मेरी परीक्षा लेने आ पहुचें . उन्हें विश्वास नहीं है की युग-प्रवर्तक की लिस्ट में नाम खोजने लगते हैं. इसलिए ये देवता अब तपस्या शुरू होते हिन् परीक्षा लेने आ पहुचते हैं .

मैंने उन्हें मन-ही-मन प्रणाम किया और प्रकट कहा, " मैं इसे अनुचित और अनैतिक मानता हूँ . मैं यह काम नहीं करूँगा . "

मुझे आशा थी की अब ये मौलिक देवरूप में प्रकट होंगे और कहेंगे - 'वत्स, तू परीक्षा में खरा उतरा. बोल तुझे क्या चाहिए? हम वर देने के मूड में हैं. बोल हिंदी साहित्य के इतिहास में तेरे ऊपर एक अध्याय लिखवा दूं ? या कहे तो, किसी समीक्षक की तेरे घर में पानी भरने की ड्यूटी लगा दूं ?

वे मौलिक रूप में तो आये, पर वह रूप प्रसंता का न होकर रोष का था. वे भुनभुनाकर चले गए . मैंने सुना, वे लोगों से मेरे बारे में कह रहे थे - 'आजकल वह साला बड़ा ईमानदार बन गया है .'

मैं जिसे देवता समझ बैठा था वो तो आदमी निकला . मैंने अपनी आत्मा से पूछा, 'हे मेरी आत्मा, तू ही बता ! क्या गाली खाकर बदनामी करवाकर मैं इमानदार बना रहूँ ?

आत्मा ने जवाब दिया, 'नहीं, ऐसी कोई जरुरत नहीं है . इतनी जल्दी क्या पड़ी है ? आगे जमाना बदलेगा, तब बन जाना .
मेरी आत्मा बड़ी सुलझी हुई बात कह देती है कभी-कभी . अच्छी आत्मा 'फोल्डिंग' कुर्सी की तरह होनी चाहिए . जरुरत पड़ी तब फैलाकर उस पर बैठ गए; नहीं तो मोड़कर कोने में टिका दिया . जब कभी आत्मा अड़ंगा लगाती है, तब उसे समझ में आता है की पुराणी कथाओं के दानव अपनी आत्मा को दूर किसी पड़ी तोते में क्यों रख देते थे . वे उससे मुक्त होकर बेखटके दानवी कर्म कर सकते थे . देव और दानव में अब भी तो यही फर्क है --एक की आत्मा अपने पास हीं रहती है और दुसरे की उससे दूर .

मैंने ऐसे आदमी देखे हैं, जिनमे किसी ने अपनी आत्मा कुत्ते में रख दी है, किसी ने सूअर में . अब तो जानवरों ने भी यह विद्या सिख ली है और कुछ कुत्ते और सूअर अपनी आत्मा किसी-किसी आदमी में रख देते है .

आत्मा ने कह दिया तो , मैंने ईमानदार बन्ने का इरादा त्याग दिया .

क्रमश: ...

Friday, March 13, 2009

अनीता की मधुमक्खियाँ

अनीता के बारे में देखिये ये प्यारा सा विडियो ...और भी बातें अनीता के बारे में जल्द हिन् करूँगा ...


Wednesday, March 11, 2009

अप्पन समाचार

देखिये अप्पन समाचार के बारे में NDTV पर प्रसारित येे विडियो

Monday, March 09, 2009

महिला दिवस पर विशेष

महिला दिवस पर कुछ समाचार आपलोगों के साथ बाटना चाहता हूँ. आशा है आप सभी को अच्छा लगेगा . तो पढिये दैनिक जागरण की विशेष प्रस्तुति :
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वाह धनेसरी! श्रमदान से बनवा दी सड़क

Mar 09, 11:13 am

गोरखपुर, [ब्रह्मदेव पाण्डेय]। धनेसरी देवी फौलादी संकल्प का प्रतीक हैं। अक्षर नहीं पहचाती फिर भी पढ़े लिखों के कान काटती है। एक पिछड़े गांव को अपनी कोशिशों से सुविधा संपन्न कर दिया। बिजली, पानी, सड़क और स्कूल सब कुछ है। गांव भर को बटोरा और श्रमदान से गांव को जोड़ने वाली डेढ़ किमी सड़क बनवा दी। घनेसरी की कोशिशों से बीस गांवों की 18 सौ महिलाएं डेढ़ सौ समूहों में संगठित हो विकास की दौड़ में शामिल हैं। गरीबों के दरवाजे न फटकने वाले बैंक और बीडीओ तक धनेसरी से सलाह मशविरा करते हैं।

धनेसरी न ग्राम प्रधान है और न बीडीसी या जिला पंचायत सदस्य। फिर भी उसका जनाधार व्यापक है। यह उसकी सेवा और लगन से बना है। एक ऐसी आम महिला जिसने गरीबी से लड़ते हुए न सिर्फ अपने कुनबे को इससे निजात दिलाई, बल्कि अपने जैसी बहुतेरी गरीब महिलाओं को भी खुशहाली का रास्ता दिखाया।

सरदारनगर के ग्रामसभा अवधपुर शांति टोला की निवासी धनेसरी के पति राम नरायन कुर्मी कभी बेरोजगार थे। अब उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।

धनेसरी की पहलकदमी 1992 में गांव जाने वाली एक सड़क के निर्माण के लिए श्रमदान से शुरू हुई। सड़क बनने की खबर जब ब्लाक तक पहुंची तोतत्कालीन बीडीओ उससे मिले और उसे महिलाओं कासमूह बनाने को प्रेरित किया। धनेसरी ने एक समूह बनाया। उसके प्रयासों से गांव में एक प्राइमरी विद्यालय खुल गया। आज विद्यालय में तीन सौ से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं।

समूह का खाता खोलने में पहले बैंकों ने कई चक्कर लगवाया, पर धनेसरी का जज्बा देख बैंक अधिकारी खुद गांव आए और समूह का खाता खोला। शुरुआती दौर में दो सौ बीस रुपये से खाता खुला आज समूह के पास कई लाख की पूंजी है। समूह के पास अपनी मारुति कार है। अब बैंक समूह की सदस्यों को कर्ज देने में नहीं हिचकते।

धनेसरी देवी के प्रयास से इस समय बीस गांवों में डेढ़ सौ स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं। इनमें 18 सौ महिलाएं जुड़ी हैं। इन समूहों ने ब्लाक तथा एनजीओ के सहयोग से करीब एक लाख पौधों का रोपण भी किया है। यही नहीं जैविक खेती में सहायक केंचुआ का पालन भी कर रही हैं।

समूह की महिलाएं नरेगा के तहत जल संरक्षण पर भी काम कर रही है। धनेसरी देवी के पास जहां एक झोपड़ी भी ढंग की नहीं थी आज पक्का मकान है। खास बात यह है कि धनेसरी ने अकेले नहीं सैकड़ों परिवारों के साथ विकास के पथ पर यात्रा शुरू की है।

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एक और समाचार जो मेरे दिल को छू गयी ...एक और पिंकी ने दिखाया कमाल....


राष्ट्रपति को भाया पिंकी का पाउच पर्स

Mar 09, 04:11 pm

नई दिल्ली। कहते हैं न कि एक न दिन तो घूरे के दिन भी फिरते हैं, सो फिर गए घूरे के दिन और वह उठकर और कहीं नहीं सीधे पहुंच गया राष्ट्रपति भवन।

पिंकी की नन्हीं-नन्हीं उंगलियों से जिस घूरे यानी कूड़े के दिन फिरे वो है सड़कों के किनारे यहां-वहां बिखरे रहने वाले पान मसाले के खाली पाउच और प्लास्टिक की थैलियां। पिंकी ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के लिए पान मसाले के खाली पाउचों को स्नेह और हसरतों से गूंथ-गूंथ कर बनाया और चमचमाता पर्स उन्हें भेंट किया तो राष्ट्रपति भाव-विभोर हो गई और पिंकी को गले लगा लिया।

दरअसल दसवीं की परीक्षा की तैयारी कर रही छत्तीसगढ़ की पिंकी ने राष्ट्रपति को खत लिखकर बताया था कि कैसे उसका भाई सड़कों पर पड़े पान मसालों के पाउचों और प्लास्टिक की थैलियों को इकट्ठा करता है और फिर वह उन्हें धो-सुखाकर किस तरह गूंथकर दरियों, पायदान व पर्स आदि की शक्ल देता है। उसने यह भी लिखा कि वह इस तरह रोजी तो कमाती ही है साथ ही प्लास्टिक के कचरे को ठिकाने लगाने में भी योगदान दे रही है।

पिंकी के इस पत्र से राष्ट्रपति इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने उसे राष्ट्रपति भवन आकर उनसे मिलने का न्यौता दिया और वह भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर। इस मौके पर राष्ट्रपति ने पिंकी को दस हजार रूपये का इनाम दिया और साथ ही उसे इसे रोजगार के रूप में अपनाने में मदद का आश्वासन भी दिया। स्वयं राष्ट्रपति भवन आकर राष्ट्रपति से मिलने और स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अपने इस हुनर को रोजी-रोटी का जरिया बनाने के लिए राष्ट्रपति द्वारा दी गई मदद की खुशी पिंकी के चेहरे से साफ छलक रही थी।

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वैसे आपलोगों को जल्द हिन् कुछ और ऐसे किस्सों से हम रूबरू करवाएंगे ... सबको महिला दिवस की शुभकामनाएंें और आयिए हम संकल्प करें की किसी भी जरुरत मंद महिला या बच्ची को हर संभव सहायता दें और उन्हें सफलता के मार्ग की और प्रसस्त्र करें ...

Monday, February 23, 2009

पिंकी ने लहराया परचम आस्कर में ...

आपको अगर याद हो तो कुछ दिन पहले हमने 'Smile Pinki' चलचित्र के बारे में चर्चा की थी . आस्कर के वृतचित्र श्रेणी में Smile Pinki को अवार्ड से नवाजा गया . सबसे बड़ी बात अपनी छोटी सी पिंकी भी अमेरिका गई थी .....

एक तस्वीर पिंकी की सर्जरी के पहले की

और ये हैं पिंकी सर्जरी के बाद

पर ये कहानी यहाँ शुरू होती है , आगे ऐसी कई पिंकी इस देश में हैं हमें उनका भी ध्यान रखना होगा . आकडों के मुताबिक भारत में तक़रीबन १० लाख ऐसे बच्चे हैं जो इस बीमारी से ग्रसित होते हैं, और हर साल ३५ हजार नए ऐसे बच्चे पैदा होते हैं ....बहुत बड़ी संख्या है हमारे यहाँ पिंकी की ...अगर हम सभी पिंकी को Smile Pinki बनाना चाहते हैं तो बहुत सारे डॉक्टर सुबोध और समाजसेवी पंकज की जरुरत होगी ....

आप हम अगर डॉक्टर नही हैं समाजसेवी भी नही पर अब इस चलचित्र को देखने के बाद इतना तो पता चल गया ना की ये बीमारी एक छोटे से सर्जरी से ठीक हो जाता है....तो जब भी कहीं आस-पास आपको कोई पिंकी दिखे तो मदद कीजये और उसे बनायिए Smile Pinki....

चित्र : साभार बीबीसी

Monday, February 16, 2009

अप्पन समाचार: बिहार के ग्रामीण महिलाओं का अपना चैनल

शायद आप ये जानकर दातों तले ऊँगली दबा लेंगे की बिहार में कुछ ग्रामीण महिलायें पुरा एक चैनल चला रही हैं अप्पन समाचार जहाँ बातें होती हैं सामाजिक रुढिवादिता, भ्रूण हत्या , महिलाओं के अधिकार और ऐसे न जाने कितने सामाजिक विषयों पर . इस चैनल का सारा काम महिलायें हिन् करती है. अप्पन समाचार में काम करने वाली महिलाओं का संछिप्त परिचय आप इस ब्लॉग पर देख सकते हैं .

ये चैनल आम चैनल से भिन्न है , इसका प्रसारण केबल या टीवी पर नही आता है बल्कि ये पुरी टीम अपने कार्यक्रम किसी सार्वजनिक जगह पर प्रोजेक्टर के जरिये दिखाती हैं . हफ्ते में १ कार्यक्रम ये बनते हैं और उसका प्रदर्शन गाँव के किसी सार्वजनिक जगह पर या बाजार में किया जाता है . इनका प्रयास है की आगे और ज्यादा लोग जुड़े इस मुहीम से और ये कार्यकर्म नियमित रूप से प्रसारित किसी केवल टीवी पर हो सके ....

इस चैनल को प्राम्भ करने का श्रेय संतोष सारंग जी को जाता है. संतोष नारंग जी हिन् महिलाओं को विडियो और इस जुड़ी हर बात का प्रसिक्षण देते हैं. संतोष जी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है और हाँ इन महिला बहनों की भी ....

अप्पन समाचार की महिला टीम काम पर निकलने के लिए तैयार

हम में है दम ....

अप्पन चैनल को हमारी ओर से ढेरों शुभकामनाएं, आशा करते हैं की हम सबका प्यारा अप्पन चैनल समाज में व्याप्त कुरीतियों को हटाने में एक मिल का पत्थर साबित होगी ....

Santosh Narang ji ka blog


Appan Samachar Ka blog


बीबीसी पर भी पढ़ें अप्पन चैनल का समाचार


अगर आपको याद हो तो मैंने अपने एक पहले के पोस्ट में "ख़बर लहरिया " अख़बार की बात की थी जो उत्तराँचल की महिलायें चला रहीं हैं और अब महिलाओं का एक समाचार चैनल है ना खुशी की बात ....

Friday, February 13, 2009

कुष्ठ रोगी और विकलांग बच्चों की प्रस्तुति पुणे में

स्वर आनंदवन: यह एक ऑर्केस्ट्रा (संगीत मंडली) है जिसकी शुरुआत बाबा आमटे के सुपुत्र डॉ. विकास आमटे ने की , इस मंडली के सदस्य कुष्ठ रोगी और विकलांग बच्चे् होते हैं . ये संगीत मंडली १६, १७, १८ और १९ फरवरी २००९ को पुणे में कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.

समारोह स्थल : गणेश कला क्रीडा केन्द्र , पुणे , Phone Number : 2444 7712
समय : सायं ६.३०
टिकेट का मूल्य : १००, २००, ३००, ५००, १०००
टिकेट : टिकेट आप आयोजन स्थल से खरीद सकते हैं , उसके अलावा निचे दिए गए किसी भी पते पर आप टिकेट के लिए संपर्क कर सकते हैं:
Popular Book House at Deccan,
No. 759/75/4, Hanuman Nagar
Deccan Gymkhaha, Pune, Maharashtra 411016
020 25671737

all branches of Khauwale Patankar:
1087,Bajirao Road,Opposite Janata Sahakari Bank
Sadashiv Peth, Pune, 411030
020 24435424

Grahak Peth at Tilak Road,
2020,Narayan Chamber
Narayan Peth, Pune, 411030
020 24270839

Shirish Traders at Kamla Nehru Park
P-775, Shop No-112, Opp Kamala Nehru Park, Erandwane
Deccan, Pune, Maharashtra 411004
020 25679181

Yashawantarao Chavan Natyagruha
Phone Number:
2539 5232 / 2539 0042

Tilak Smarak Mandir
No. 651, Sadashiv Peth
Sadashiv Peth, Pune, 411030 MAHARASHTRA
020 22445004 / 2432 8431/ 2433 4004

Balgandharva Rang Mandir
Phone Number:
2553 2959

तिथि : १६, १७, १९ फरवरी २००९

१८ फरवरी को इसका आयोजन Ramkrishna Moré Sabhagruha, Chinchwad में रात्रि 9.३० बजे होगा .

इस आयोजन से जो भी राशि इक्कठी होगी वो महारोगी सेवा समिति में जायेगी . महारोगी सेवा समिति कुष्ठ रोगियों के लिए काम करती है .

आप अगर ख़ुद पुणे में नहीं हैं पर अगर आपके कोई मित्रगन या परिजन हैं पुणे में तो उन्हें इस कार्यक्रम की जानकारी जरुर दें.....

ज्यादा जानकारी के लिए निचे लिखा संदेश पढ़ें :

What: Swaranandwan: An orchestra mainly by leprosy affected and/or handicapped kids. Initiated by Dr. Vikas Amte, son of Baba Amte, of Maharogi Sewa Samiti, Warora, Chandrapur.

(If you are not in Pune currently, you may fwd this to your family and/or friends in Pune. It's not just for charity, you may be in for an amazing performance at the end of the day!)

When & where: 16th, 17th, 18th and 19th Feb'09. The shows on 16th, 17th and 19th are at Ganesh Kala Krida Kendra, Pune at 06:30pm. The show on 18th is at Ramkrishna Moré Sabhagruha, Chinchwad at 9.30 pm.

Tickets: Available at Popular Book House at Deccan, all branches of Khauwale Patankar, Grahak Peth at Tilak Road, Shirish Traders at Kamla Nehru Park, Yashawantarao Chavan Natyagruha, Tilak Smarak, Balgandharva Rangamandir and at both the venues. Priced at Rs. 100, 200, 300, 500, 1000 and more. This money would go to Maharogi Seva Samiti.

You may browse through the following links to find out more about Baba Amte, Maharogi Sewa Samiti and their projects such as Anandwan, Hemalkasa, Somnath, Swaranandwan, etc-
http://en.wikipedia.org/wiki/Baba_Amte
http://en.wikipedia.org/wiki/Anandwan
http://mss.niya.org/index.php
http://www.culturalindia.net/reformers/baba-amte.html

Thursday, February 12, 2009

गरिबी को बेचो और जिंदगी बनाओ ...

कब तक गरिबी को सरे आम बेचा जाएगा चाहे वो कला का क्षेत्र हो या साहित्य का क्षेत्र या फ़िर राजनीति हर जगह गरिबी को लोग बेच कर अपनी जिंदगी बना रहे हैं ....

आप सभी को विश्वास नही होता तो हाल-फिलहाल के घटना क्रम पर एक नजर डालिए :
SLUMDOG Millionaire : गरीबों की जिंदगी दिखा कर कितने अवार्ड और सोहरत ये चलचित्र जित रही है वो मुझे बताने की जरुरत नही है ....

व्हाइट टाइगर (अरविन्द अडिगा की पुस्तक) : गरिबी और भरष्टाचार दिखा कर अडिग साहब ने आसानी से बुकर पुरुष्कार जित लिया . वैसे मुझे यह पुस्तक पसंद है पर यहाँ ऐसा कुछ साहित्यिक नही दिखा की जिसके लिए बुकर पुरुष्कार उन्हें मिले ....

और इन सब को पीछे छोड़ दिया हमारे राहुल बाबा ने ...



अभी भाई राहुल गाँधी जी को देखिये अपने खानदानी लोकसभा क्षेत्र में जा कर गरीबों के बीच रहने का नाटक कितनी सफलतापूर्वक कर रहे हैं , उन्हें यह सोच कर शर्मिंदगी नही आ रही की इतने वर्षों से उनके पुरखे यहाँ से चुने जा रहे हैं फ़िर भी उस क्षेत्र का हालत इतना ख़राब है . और राहुल जी को जब इन सब से भी चैन नही मिला तो एक ब्रिटिश मिनिस्टर को भी उन गरीबों के घर ले गएँ और दिखाएँ की देखों गोरों - देखो हम आजादी के ६० साल से ज्यादा हो जाने के बाद भी वहीँ हैं जहाँ तुम हमें छोड़ कर गए थे ....हद हो गई ....

चित्र साभार : द हिंदू (समाचारपत्र)

Sunday, January 25, 2009

पिंकी ऑस्कर की दौड़ में ...

अरे हाँ भाई भारत से केवल ‘Slumdog Millionaire’ हिन् ऑस्कर की दौड़ में नहीं है बल्कि एक कम बजट वाली सत्य घटना पर आधारित चलचित्र ‘Smile Pinki’ भी इस दौड़ में शामिल है . ये अलग बात है की इस चलचित्र की उतनी चर्चा नही हो रही है ...तो आज हम बात करते हैं कुछ इसी चलचित्र के बारे में....


पिंकी नाम है एक गरीब बच्ची का जो अपने होठ ( cleft lip) की बीमारी के कारन समाज में बहिष्कृत थी , लोग उसे अछूत की श्रेणी में रखते थे . उसके गरीब परिवारवालों को क्या पता की इस बीमारी का इलाज सम्भव है . पिंकी जिंदगी में उजाला लेकर आए एक समाजसेवी पंकज जी . पंकज जी पिछले कुछ वर्षों से गाँव-गाँवं में घूमकर गरीब मरीजों की मदद करते हैं और उन्हें ऐसे अस्पताल में ले जाते हैं जहाँ मुफ्त चिकित्सा सेवा उपलब्ध होती है . ऐसे हिन् घुमते-घुमते पंकज जी को Mirjapur जिले के एक गाँव में पिंकी से मुलाकात हुई . उन्होंने फ़ौरन पिंकी को इलाज के लिए वाराणसी(बनारस) ले आए . वाराणसी में G S Memorial Plastic Surgery हॉस्पिटल के डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह जी ने पिंकी की सर्जरी मुफ्त में किया . एक छोटे से operation से पिंकी के जीवन में नया उजाला आ गया आज पिंकी सभी बच्चों के साथ खेलती है स्कूल जाती है और अब तो उसके ऊपर बनी चलचित्र ऑस्कर भी चली गई .....पिंकी तुम ऐसे हिन् आगे बढो और जीवन में नई उचाईओं को छूओं और भविष्य में ऐसे सभी जरुरतमंदो की सहायता करो ....

पर इस पुरे घटना कर्म में पंकज जी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है . मैं कोशिश करूँगा की उनसे एक बार कम से कम हमारी मुलाकात हो. ऐसे लोग हमेशा हमें जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा दे जाते है .....

आप इस चलचित्र के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें ....

चित्र साभार : Zee news

Friday, January 16, 2009

फ़ोन का असर ...

आपलोगों को ये जानकर ख़ुशी होगी की कल हिन् सभी बाढ़-पीडितों के बीच सर्कार के तरफ से २२५० रूपये ka वितरण सर्कार की तरफ से किया गया , अनाज ka वितरण भी लालगंज और भरतपुर में जल्द हिन् करने ka वादा किया गया है . हमलोगों ने जो फ़ोन करने की मुहीम चलायी उसका भी असर हुआ आगे भी मैं अपील करूँगा सभी लोगों से ऐसे हिन् फ़ोन करके पूछ-ताछ करते रहें.
इस बीच में महेंद्र शर्मा जी के क्रिया-कर्म के लिए कुछ पैसे हमलोगों ने उन्हें बिझ्वा दिया था . और अभी जो थोडी बहुत सहायता राशि मेरे पास जमा हुई है उसे भी उनको हिन् देने ka मेरा विचार है अगर आपलोगों को कोई इतराज नहीं हो तो.

हाँ सर्कार के तरफ से महेंद्र जी की पत्नी पर उनका बयानं बदलने के लिए दवाब डाला जा रहा है, और महेंद्र जी की पत्नी ने कोई भी सरकारी सहायता राशी लेने से इंकार कर दिया है और वो इस घटना की पूरी जाच और मुआवजा की मांग कर रही है इस में हम सभी लोग को उनका साथ देना चाहिए ....

शाश्वत जी की तरफ से १,००१ रूपये की सहायता राशी आयी , इसके लिए मैं उनका आभारी हूँ ...

आपलोग CM को भी ईमेल से इस घटना की सूचना जरुर दें ... cmbihar-bih@nic.in

सभी फ़ोन करने वाले भाई बहनों ka बहुत-बहुत आभार ....

आगे भी हम इस मुहीम को जारी रखेंगे ...जो इस घटना के बारे में ज्यादा जानकारी चाहते हैं वो पुष्यमित्र जी से संपर्क कर सकते हैं

तो फ़ोन नम्बर आपलोग भूल तो नही गए ना ...

DM Supaul : 9430903553 (mobile) Mr. R. Sharvaran
B.D.O. Chhatapur : 9431818307
Mr. R.K.Singh(Relief operation head) : 9431019011


इस बीच हमारे अपील पर कुछ सहायता राशि हमारे पास आई है :
अभिनीत जी: 1,000
शाश्वत जी : 1,001

बहुत बहुत धन्यवाद् अभिनीत जी और शाश्वत जी ...

Tuesday, January 13, 2009

फ़ोन करें और थोडी सहायता करें ...

आज हिन् आप निचे दिए गए नम्बर पर फ़ोन करें और भरतपुर अवं लालगंज के घटना के बारे में सरकारी अधिकारीयों से पूछे, की आखिर आज तक क्यों नही इन २ गाँव में सरकारी सहायता उपलब्ध करवाई गई है, पिछले हिन् दिनों भूख के कारण महेंद्र शर्मा नाम के एक आदमी की मौत हो गई, आखिर सरकारी राहत सामग्री में पहुचने में ये देर क्यों हो रही है....

Phone Numbers:
DM Supaul : 9430903553 (mobile) Mr. R. Sharvaran
B.D.O. Chhatapur : 9431818307
Mr. R.K.Singh(Relief operation head) : 9431019011

kam se kam aaj 20 call to jana hin chahiye wo bhi desh ke alag-alag kone se yahi nahi videsh se bhi...

iske alawa aaplog CM ko feedback bhi bhej sakte hain : http://gov.bih.nic.in/Feedback.asp
ya fir unhe mail karen is pate par is ghatna ki jankari den : cmbihar-bih@nic.in

Sunday, January 11, 2009

बाढ़-पीड़ित की जान ली भूख ने

जैसा मैंने अपने पहले पोस्ट में भी लिखा था की बिहार में बाढ़-पीडितों की व्यथा कम नही हुई है . पढिये सुपौल से हमारे एक मित्र की रिपोर्ट:

सुपौल में भूख ने ली महेंद्र की जान

गरीबी के कारण दाह संस्कार नहीं हो सका, परिजनों ने शव दफनाया
भीख मांगकर किसी तरह जिंदा हैं महेंद्र की पत्नी और चार बच्चे

छातापुर (सुपौल)। बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों में पीड़ितों की हालत
दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। छातापुर प्रखंड अंतर्गत लालगंज पंचायत के
भरतपुर गांव में दो जनवरी को 50 वर्षीय महेंद्र शर्मा की भूख से मौत होने
की खबर मिली है। इतना ही नहीं, मौत के बाद भी गरीबी ने उसका पीछा नहीं
छोड़ा। हिन्दू होने के बावजूद उसके दाह-संस्कार के लिए परिजनों के पास
लकड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे। इस वजह से महेंद्र के शव को बगैर जलाए
गड्ढा खोदकर दफन कर दिया गया। उसकी पत्नी रनिया देवी चार बच्चों के साथ
भीख मांगकर अब तक जिंदा है।
हालांकि बिहार सरकार ने बाढ़पीड़ितों के लिए पहली किश्त का मुआवजा (2250
रुपए और एक क्विंटल अनाज प्रति परिवार) जारी किया था लेकिन एपीएल और
बीपीएल के चक्कर में चार महीने बाद भी यह राशि गरीबों तक नहीं पहुंच सकी
है। लालगंज पंचायत की इस घटना ने तब मानवीय संवेदना को झकझोर कर रख दिया
जब राहत से वंचित भीख मांग कर दिन काट रहे महेन्द्र शर्मा को जलाने के
लिए लकड़ी तक नसीब नहीं हो सकी और मजबूरन उसके शव को परिवार वालों ने
मिट्टी में दफन कर दिया। दिवंगत की विधवा रनिया देवी बताती है कि 20
अगस्त को आयी प्रलंयकारी बाढ़ के बाद वे लोग सरकारी शिविर में रह रहे थे
लेकिन शिविर बंद होने के बाद उन्हें अपना गांव लौटना पड़ा। बाढ़ में उनकी
झोपड़ी बह गई थी जिसे किसी तरह रहने लायक बनाया और भीख मांगकर गुजारा करने
लगे। रनिया देवी बताती हैं कि चार-चार शाम के फाके के बाद भूख ने
महेन्द्र शर्मा को बीमार बना दिया और दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में
उन्होंने बिस्तर पकड़ ली थी। बिलखते हुए वह कहती हैं कि खाने के लिए तो एक
दाना अनाज नहीं है इलाज कैसे कराते। अब तो लोग भीख भी नहीं देते हैं।
पहले बाहर से कुछ लोग खाने का सामान बांटने आते थे लेकिन अब कोई नहीं
आता। इस संबंध में मुखिया प्रमिला देवी ने बताया कि महेंद्र शर्मा के
परिवार का नाम एपीएल और बीपीएल सूची में नहीं है जिस कारण इस परिवार को
अब तक कोई सरकारी राहत नहीं मिल सकी है। उन्होंने कहा कि ऐसे 500
परिवारों की सूची बनाकर प्रखंड कार्यालय को दे दी गई है लेकिन सरकार की
तरफ से अब तक मुआवजा या किसी तरह की राहत सामग्री ऐस परिवारों को नहीं दी
सकी है। इस संबंध में प्रभारी बीडीओ अनभिज्ञता प्रकट कर रहे हैं।

बिहार में लोकल मीडिया ने इस ख़बर को प्रकाशित करने से इंकार कर दिया, सरकारी दवाब के आगे मीडिया झुकी है...
ये दशा केवल एक परिवार की नहीं है बल्कि भूखे रहनेवाले ऐसे ९०० परिवार हैं, छातापुर प्रखंड के भरतपुर और लालगंज गाँव में आज तक सरकारी सहायता का कोई भी दर्शन नही हुआ है. और यहाँ की मुखिया श्रीमती प्रमिला देवी (ON THE PAPER) भी इसमें अपनी कोई खास रूचि नहीं दिखा रही हैं. यहाँ तक की उन्होंने आज तक भरतपुर गाँव(जहाँ की महेंद्र शर्मा की मौत हुई) का दौरा भी नहीं किया है, भाई करें भी तो क्यों करें...उनके परिवार का कोई भूखा तो नहीं मर रहा है .....

तो मेरे इस पोस्ट भी उन बाढ़-पीडितों को कोई भला होगा नहीं होगा मुझे पता है, पर कम से कम आपको सचाई तो पता चली . मेरे पास एक और योजना है : हम सभी मिलकर सरकारी तंत्र पर इस मामले में दवाब बढाते हैं . इसका आसन रास्ता है वो मैं आपलोगों कल बताता हूँ ....तब तक आपलोग सोचिये की हम किस दुनिया में जी रहे हैं जहाँ एक तरफ़ Macdonalds और ऐसे कई अमेरिकी रेस्तरां में हजारों रूपये पानी की तरह बहते हैं वहीँ कोई दूसरी तरफ़ भूख से मर जाता है . हम सब मिलकर सरकार को दोष दे कर शांत हो जाते है ...हो गया हमारा काम ख़त्म अपनी जिंदगी तो मजे में चल रही हैं ना दुनिया जाए भाड़ में .....

कल के पोस्ट को पढ़ना न भूलियेगा .....

Tuesday, January 06, 2009

इसका तो यही आदत है ...

इसका तो यही आदत है ....
ये वाक्य अक्सर मेरे जन-पहचान वाले लोग मेरे बारे में कहने लगे हैं ...

आज बोलेगा की बिहार फ्लड रिलीफ़ के काम के लिए मदद चाहिए, कल किसी सूरज को डूबने से बचाने की बात करता है, कभी मुंबई ब्लास्ट विक्टिम्स की मदद की , कभी किसी और बीमार के इलाज के लिए गुहार लगाना....बस इसका यही आदत है ....

ऐसा कोई नहीं जानने वाला बोलता है तो कोई कष्ट नहीं होता हैं, पर जब बचपन के मित्र भी इस तरह की बात करते हैं, मेरे सहायता या किसी के मदद के लिए भेजे गए संदेशों का कोई जवाब नहीं भेजते तो जरुर थोड़ा कष्ट होता है ...

पर दुनिया में कुछ नए मित्र भी मिल जाते हैं जो हमारी इस भावना को समझते हैं और बिना किसी जान-पहचान के भी मेरे उन पुराने स्कूली मित्रों की तुलना में कहीं ज्यादा विश्वास और हौसला अफजाई करते हैं ....कभी-कभी लगता है की जीवन के उतरार्ध में जो मित्र बनते हैं वो ज्यादा समय तक आपका साथ निभाते हैं, क्योंकि ये मित्रता एक बौधिक अस्तर पर होती है ....

केवल मित्र हिन् नहीं हमारे कुछ शिक्षक्गन और रिश्तेदार भी कुछ ऐसा हिन् बोलते हैं ....

अब भाई जिन्हें जो बोलना है बोल लीजये मैं कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि मुझे भी अब लगने लगा है की मेरा तो यही आदत हो गया है....मैं बेशर्म हो गया हूँ ...

Saturday, January 03, 2009

ऊँट पर चले हम ...

अगर आप अपने बच्चे को पैसे के आभाव में स्कूल ऑटो रिक्शा में नहीं भेज सकते तो परेशान होने की कोई बात नहीं ऊँट गाडी है ना .... ये तस्वीर आई है आज के इंडियन एक्सप्रेस के अहमदाबाद संस्करण में । आप भी देखें और बताएं कैसा लगा ये ऊँट गाडी... तो भेज रहे हैं न अपने बच्चों को इस पर:)

ऊँट पर स्कूल चले हम ....:)

चित्र साभार : इंडियन एक्सप्रेस

Thursday, January 01, 2009

पगलू भैया का विकेट गिर गया ...

अरे भैया का बताये आपलोगों को अभी कुछ हिन् दिन पहले हमको मालूम हुआ की पगलू भैया तो खूटे से बंध गए और जनाब एक चिट्ठी-पत्री तक नहीं भेजें घोर कलयुग आ गया है भैया क्या कहा जाए ....

हमारे पगलू भैया २१ नवम्बर २००८ को परिणय सूत्र में बंध गए , हम सभी की तरफ़ से पगलू भैया और भाभी जी को ढेरों बधाईयाँ ...

अब अगर आप नहीं जानते हैं की हम किस पगलू की बात कर रहे हैं तो हम आपको बता देन उनके बारे में कुछ । ये पगलू भैया हैं जो जीवन में कुछ हट कर करना चाहते हैं, हरपल जरुरतमंदों की मदद, पटना के एक समय में युवा नेता और ना जाने क्या-क्या ....

भाभी जी की तो कोई तस्वीर अभी तक पगलू भैया ने नहीं भेजी है, पर पगलू भैया की एक तस्वीर कहीं से ढूंढ कर मैं यहाँ लगा रहा हूँ ।




ऑरकुट कम्युनिटी से पगलू भैया का परिचय :

don't know this pagal , u don't deserve knowing it.. ;=) xx@!#

pagal he..he..he no she,.. pagal


एक कविता पगलू भैया का, जो मैं उनके ब्लॉग से बिना अनुमति के उठा कर यहाँ रख रहा हूँ ....

Main Aaoonga Tujhse Milne!!!



Kitne din ho gayein..... Kitne din????

Kab se tujhe dekha nahi hai.... Kab Se????

Yaad nahi.....

Kya tu abhee bhee waisee hee dikhtee hogi.... Pata nahi!!!

Dekhna main aaoonga, tere paas.... bahut jaldi.... milne tujhse

Kuch bhee nahi to hai mere pass tere liye..... phir ... phir bhee koshish karoonga tujhe kuch de ke aane ko.....

Pata nahi shayad... pata nahi.... kya doonga main tujhe....

kya doonga... kuch bhee to nahi mere pass..... Pata nahi....

Dekhna.... bhoolna mat mujhe..... Main nahi bhoola hoon tujhe....

Pata nahi ... shayad Baris ke paani me sab kuch dhul gaya hoga.... kya dhul gayee hai meri yaad bhee....

Kya wo Baris ka paani, meri yaadon ko baha le gaya... pata nahi....

Khair... main aaoonga milne... tujhse milne!!!!


ठीक है पगलू भैया आप शादी में नहीं बुलाए तो क्या जब भी मिलूँगा सब हिसाब सूद सहित लूँगा....एक बार फ़िर से आपको और भाभी जी को मंगल भविष्य अवं नववर्ष की शुभकामनायें हमलोगों को तरफ़ से .....

वैसे जाते-जाते मैं आपलोगों को बता दूँ की मेरे कुछ और मित्र हैं जो अपने आप को पागल समझते हैं या फ़िर यों कहें की जो पागल बन्ने की हर कसौटी पर खरे उतरते हैं । उनमें से कुछ के नाम मैं इस पोस्ट में लेना चाहूँगा : एक तो हैं भैया चिट्ठाजगत के धुरंधर लिक्खाड़ पर्शांत (पर शांत ) बाबू , दुसरे पुर्नेंदु भाई और एक मेरा मित्र है यहाँ गाँधीनगर में प्रतिक (इसका भी विकेट जल्द हिन् गिरने वाला है ) । इन सब के पागलपन की कहानी किसी और दिन ....अब आप ख़ुद हिन् समझ सकते हैं इतने पागलों का साथी क्या हो सकता है ....पागल और क्या !!!

तो एक बार जोर से सब मिलके बोलो पगलू भैया और पागलपन की जय !!!