
सबसे आश्चर्य तब हुआ जब मैंने देखा की कक्ष क्षेत्र के कई गाँव में ३-४ थी में पढने वाले बच्चे गुटखा बेधड़क खा रहे थे . उन मासूम बच्चों को तो ये भी नहीं पता की वो क्या खा रहे हैं और उस से क्या नुकसान होगा. गुटखा के ऊपर ये लिखा होता की ये minor यानि बच्चों के लिए नहीं है ....पर कौन दुकानदार ये नियम देखता है उसे तो अपने मुनाफे से मतलब है ...वहीँ दूसरी तरफ गाँव के अन्य लोग भी कुछ ध्यान नहीं देते हैं ... मुझे खीज होती है ये सब देख कर क्या हर चीज के लिए हमें सरकारी नियम की बैसाखी चाहिए ?
अगर हर गाँव के कुछ बाद-बुजुर्ग और वहां के स्कूल के शिक्षक मिल कर गुटखा के खिलाफ मुहीम चलायें ें तो क्या मजाल की कोई बच्चा गुटखा खा ले....पर नहीं किसी को कुछ नहीं पड़ी है ....
वैसे ३-४ दिन के संछिप्त यात्रा में मैंने काफी गुटखे बच्चों से जमा किये और तक़रीबन १०० से ज्यादा बच्चों को इसके खतरे के बारे में थोडा प्यार से समझाया और थोडा डांटा भी.... वैसे मेरे पास भी काफी गुटखा जमा हो गया बिना पैसा खर्च किये, आप में से किसी को चाहिए क्या....:)
आप सभी को बता दूं की कक्ष के यात्रा में मैंने एक भी goitre घेंघे (गलगंड) के मरीज को नहीं देखा , जबकि सभी नमक बनाने वाले मजदूर तो सादा नमक हिन् खाते हैं, वहां कहाँ उनके पास ये ११ रूपये वाला आयोडीन युक्त नमक खाने का पैसा है गरीबों के पास ?

हैं ना ये आयोडीन का माजरा कुछ अजीब सा ...
4 comments:
गुणी बाबू सही विचार है..गुटखे का विस्तार कुछ अधिक ही है.
आप गुटखे की बात करते हैं ..मैंने मेरे अंचल में ५-६ साल तक के बच्चों को सिगरेट और शराब तक पीते देखा है ..मन खिन्न हो जाता है देखकर.
ये तो छुटपन से ही देखते आ रहे हैं भैया.. एक ठो काम काहे नय करते हैं भैया? जब एतना गुटखा जमा होईये गया है त एक ठो गुमटीयो खोलिये लिजिये.. :D
वैसे बात तो पते कि बताये हैं आप.. :)
जब एतना गुटखा जमा होईये गया है त एक ठो गुमटीयो खोलिये लिजिये..
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PD babu,
aap to baat ekdam sahi bol rahe hain...aap gumati par baithiyega aur ham Kutch ke ksetra se Gutkha ikkatha karke har hafte laate rahenge...:) boliye manjoor.
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Lovely ji aur Sameer ji,
iske liye to hamlogon ko hin muhim chalani hogi na....
mera irada hai ki is December mein cycle par 15 din ki yatra is kshetra mein karoon aur Gutkha virodhi (No Gutkha campaign) aur swachata abhiyan chalaun....
dekhiye ho pata hai ya nahi...
Dhanyawad,
Guneshwar.
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