पर अफ़सोस तो बस इस बात का है की चुनाव में व्यस्त नेतागण इतना तक भूल गए की हॉकी टीम को बधाई दी जाए ...यही अगर मामला क्रिकेट का होता तो अभी करोडों रुपयों की इनाम राशि की घोषणा हो जाती ...केंद्र राज्य सर्कार सभी इसके लिए आगे आते ....
इस तरह का दोगला बर्ताव करने के बाद लोग बोलते हैं की हॉकी और अन्य खेल में भारत अच्छा नहीं करता है ...तो बतायिए ना कैसे करे अच्छा....है की नहीं यह एक यक्ष प्रशन ?
खैर छोडिये इन बातों को और पढिये विस्तार से भारतीय जीत के समाचार को ....
साभार: BBC हिंदी सेवा
भारत ने चौथी बार अज़लान शाह हॉकी कप जीता है |
भारत ने चौथी बार अज़लान शाह हॉकी प्रतियोगिता जीती है. इससे पहले भारतीय टीम 1985, 1991 और 1995 में विजेता रही थी.
इसके अलावा भारत 2006 में और 2008 में इस प्रतियोगिता के फ़ाइनल में पहुँचने में सफल रहा था.
भारत ने घरेलू दर्शकों के ज़बर्दस्त समर्थन के बीच खेल रही मलेशिया की टीम के ख़िलाफ़ शानदार प्रदर्शन किया.
आठवें मिनट में बढ़त
भारत ने मैच के आठवें मिनट में मलेशिया पर ज़ोरदार हमला बोला और अर्जुन हलप्पा के गोल की बदौलत 1-0 की बढ़त हासिल कर ली.
लेकिन भारतीय टीम इस बढ़त को ज़्यादा समय तक कायम नहीं रख सकी और तीन मिनट बाद ही अज़लॉन मिज़रॉन ने गोल दागकर मेज़बान टीम को बराबरी पर ला दिया.
शुरुआती बढ़त गँवाने के बावजूद भारतीय खिलाड़ियों ने हौसला नहीं खोया और विपक्षी खेमे पर दबाव बनाए रखा. बीसवें मिनट में भारत के प्रभजोत सिंह ने गोल लिया और भारत ने मलेशिया पर 2-1 की बढ़त हासिल कर ली.
मध्यांतर तक भारतीय टीम 2-1 से आगे थी.
मध्यांतर के बाद भी आक्रामक
मध्यांतर के बाद पाले तो बदले, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों के जीत के इरादे पहले से ज़्यादा मज़बूत थे.
मेज़बान टीम जहाँ बराबरी का गोल दागने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही थी, वहीं भारतीय खिलाड़ियों ने भी अपना आक्रामक खेल जारी रखा.
शिवेंद्र सिंह ने भारत के लिए तीसरा गोल दागा और ये मैच का आख़िरी गोल साबित हुआ.
इससे पूर्व, भारत ने सेमीफ़ाइनल में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 2-1 से शिकस्त दी थी.
2 comments:
chaliye filhaal to ise baisaakhee kaa uphaar hee maan lete hain, kaash ki ye jeetein desh mein kriket ke prati logon ke paagalpan se thoda alag hee sahee logon ko soche par vivash kar sakein.
Namashkar,
Sahi kaha aapne Bhartiya Hockey team sach mein tariff ke haqdar hai ki 13 saal ke baad unhone ye jit phir se haasil ki hai. Par ye hamare desh ki vidambana hi hai ki rashtriya khel hone ke bawajood hockey ko aaj utni ahmiyat nahin di jati jitni cricket ko di jati hai aur hockey hi kyun koi bhi khel le lijiye. yahaan logoon ko interest hai to sirf cricket mein .Swargiya Naasir bhai ka example to aap hi ne dikhaya tha hum sub ko ki kaise football khelne wale Naasir bhai ko apne ant samay mein sarkar se koi sahyog nahin mil paya tha. Dhanya hai bharat ki sarkar aur Janta!
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