तुलसीदास दिल्ली जा रहा था । एक भगत ने टिकिट ले दिया जो पहले दर्जे में बैठा था । बगल में एक संसद सदस्य थे । उन्होने चमचों द्वारा पहनायी गयी मालाएँ उतारीं और पसीना पोंछते हुए बोले - बड़ी मुसीबत है । लोग मुझे इतना चाहते हैं कि तंग हो जाता हूँ ।
तुलसी ने कहा - आदमी को सूखी रहने के लिए दो चीजें जरुरी हैं-- भ्रम और मूर्खता । वो दोनों आपमें हैं, इसलिए आप खूब सूखी हैं । अरे नेता महराज ये मालाएँ नहिं साँप हैं । जिन्होंने ये मालाएँ पह्नायीं वे आपसे प्रेम नहिं नफरत करते हैं । मगर उन्हें आपसे कम कराना है , तो माला पहनते हैं । मैं तो उनके चेहरे से समझ रहा था । जिस दिन आप राजपद पर नहिं होंगे, उस दिन ये लोग आपको जूते संसद ।
संसद सदस्य ने मुझे गौर से देखा । बोला--आप साधू हैं, तो आपको बतलाने में कोई हर्ज नही है । मैं भ्रम में नही हूँ । ये हरामजादे एक से बढकर एक बदमाश हैं। कुछ साल पहले मेरा जानी दुश्मन चुन लिया गया था, तो उसे भी ऐसी ही मालाएँ ये पहनाते थे । यह रजनीति है स्वामीजि ! कोई भगवत भजन नहिं है । तमाम गुण्डों, बदमाशों, तसकरों तक्सचोरों, दो नम्बरियों को पटाकर रखना पड़ता है, तब चुनाव जीतते हैं । इस बार तो दंगा कराना पड़ा--जिसमें पचास आदमी मारे गये और दो सौ झोपड़े जले । मैंने खुद गाय का गोश्त मन्दिर में डलवाया था । पुजारीको पाँच सौ रुपये दिये थे । बड़ी कठिन हो गयि है राजनीति ।
Rest in Peace Ramalakshmi - It's been 4 years by now
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Rest in peace Ramalakshmi.
Even though you are away from us.. your fighting spirit and inspiration
helps us to get Hearts to Help Charitable trust keep goi...
11 years ago
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