Monday, August 20, 2007

एक गधे की आत्मकथा


कृष्ण चंदर के लोकप्रिय उपन्यास "एक गधे की आत्मकथा " में आदमी की भाषा में बोलने वाले एक गधे के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं पर करारा व्यंग्य किया गया हैइस उपन्यास के विचित्र संसार में सरकारी दफ्तरों के निठल्ले आफिसर, लाइसेंस के चक्कर में घूमने वाले व्यवसायी, चुनाव के जोड़-तोड़ में लगे नेता, साहित्य के मठाधीश , माडर्न आर्ट के नम पर जनता को चक्कर में डालने वाले कलाकार, अपने ही सुर से मोहित संगीतज्ञ, सौंदर्य के नम पर भोंदेपन को अपनाने वाली निठ्ल्ली महिलाएँ मानो कार्टून कि शक्ल में चलते फिरते नजर आते हैं

एक बहुत हिन् बेहतरीन पुस्तक है, एक बार अवश्य हिन् पढ़ेंवर्तमान परिवेश के बारे में एकदम सटीक चित्रण है इस पुस्तक मेंकहानी के अंत में थोड़ी पकड़ ढीली हो गयी है फिर भी बार - बार पढने लायक पुस्तक हैं

1 comment:

PD said...

आप यहाँ हिंदी में बात करेंगे तो मेरा यकिन करें, मैं भी हिंदी में ही जवाब भी दुंगा।

वैसे गुणी(मैं आपको यही नाम से पुकारूंगा) भैया, मैं आपको एक बार फिर धन्यवाद दुंगा ये पुस्तक भेजने के लिये। ये तो आपने बिलकुल सही कहा है की इस पुस्तक में आज के विचित्र संसार का बिलकुल सही चित्रन किया है। और ये भी सही है कि अंत में लेखक कि पकड़ पुस्तक पर से कुछ ढीली पर गई है। फिर भी इसे बार-बार पढने का दिल करता है।