Sunday, January 25, 2009

पिंकी ऑस्कर की दौड़ में ...

अरे हाँ भाई भारत से केवल ‘Slumdog Millionaire’ हिन् ऑस्कर की दौड़ में नहीं है बल्कि एक कम बजट वाली सत्य घटना पर आधारित चलचित्र ‘Smile Pinki’ भी इस दौड़ में शामिल है . ये अलग बात है की इस चलचित्र की उतनी चर्चा नही हो रही है ...तो आज हम बात करते हैं कुछ इसी चलचित्र के बारे में....


पिंकी नाम है एक गरीब बच्ची का जो अपने होठ ( cleft lip) की बीमारी के कारन समाज में बहिष्कृत थी , लोग उसे अछूत की श्रेणी में रखते थे . उसके गरीब परिवारवालों को क्या पता की इस बीमारी का इलाज सम्भव है . पिंकी जिंदगी में उजाला लेकर आए एक समाजसेवी पंकज जी . पंकज जी पिछले कुछ वर्षों से गाँव-गाँवं में घूमकर गरीब मरीजों की मदद करते हैं और उन्हें ऐसे अस्पताल में ले जाते हैं जहाँ मुफ्त चिकित्सा सेवा उपलब्ध होती है . ऐसे हिन् घुमते-घुमते पंकज जी को Mirjapur जिले के एक गाँव में पिंकी से मुलाकात हुई . उन्होंने फ़ौरन पिंकी को इलाज के लिए वाराणसी(बनारस) ले आए . वाराणसी में G S Memorial Plastic Surgery हॉस्पिटल के डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह जी ने पिंकी की सर्जरी मुफ्त में किया . एक छोटे से operation से पिंकी के जीवन में नया उजाला आ गया आज पिंकी सभी बच्चों के साथ खेलती है स्कूल जाती है और अब तो उसके ऊपर बनी चलचित्र ऑस्कर भी चली गई .....पिंकी तुम ऐसे हिन् आगे बढो और जीवन में नई उचाईओं को छूओं और भविष्य में ऐसे सभी जरुरतमंदो की सहायता करो ....

पर इस पुरे घटना कर्म में पंकज जी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है . मैं कोशिश करूँगा की उनसे एक बार कम से कम हमारी मुलाकात हो. ऐसे लोग हमेशा हमें जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा दे जाते है .....

आप इस चलचित्र के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें ....

चित्र साभार : Zee news

Friday, January 16, 2009

फ़ोन का असर ...

आपलोगों को ये जानकर ख़ुशी होगी की कल हिन् सभी बाढ़-पीडितों के बीच सर्कार के तरफ से २२५० रूपये ka वितरण सर्कार की तरफ से किया गया , अनाज ka वितरण भी लालगंज और भरतपुर में जल्द हिन् करने ka वादा किया गया है . हमलोगों ने जो फ़ोन करने की मुहीम चलायी उसका भी असर हुआ आगे भी मैं अपील करूँगा सभी लोगों से ऐसे हिन् फ़ोन करके पूछ-ताछ करते रहें.
इस बीच में महेंद्र शर्मा जी के क्रिया-कर्म के लिए कुछ पैसे हमलोगों ने उन्हें बिझ्वा दिया था . और अभी जो थोडी बहुत सहायता राशि मेरे पास जमा हुई है उसे भी उनको हिन् देने ka मेरा विचार है अगर आपलोगों को कोई इतराज नहीं हो तो.

हाँ सर्कार के तरफ से महेंद्र जी की पत्नी पर उनका बयानं बदलने के लिए दवाब डाला जा रहा है, और महेंद्र जी की पत्नी ने कोई भी सरकारी सहायता राशी लेने से इंकार कर दिया है और वो इस घटना की पूरी जाच और मुआवजा की मांग कर रही है इस में हम सभी लोग को उनका साथ देना चाहिए ....

शाश्वत जी की तरफ से १,००१ रूपये की सहायता राशी आयी , इसके लिए मैं उनका आभारी हूँ ...

आपलोग CM को भी ईमेल से इस घटना की सूचना जरुर दें ... cmbihar-bih@nic.in

सभी फ़ोन करने वाले भाई बहनों ka बहुत-बहुत आभार ....

आगे भी हम इस मुहीम को जारी रखेंगे ...जो इस घटना के बारे में ज्यादा जानकारी चाहते हैं वो पुष्यमित्र जी से संपर्क कर सकते हैं

तो फ़ोन नम्बर आपलोग भूल तो नही गए ना ...

DM Supaul : 9430903553 (mobile) Mr. R. Sharvaran
B.D.O. Chhatapur : 9431818307
Mr. R.K.Singh(Relief operation head) : 9431019011


इस बीच हमारे अपील पर कुछ सहायता राशि हमारे पास आई है :
अभिनीत जी: 1,000
शाश्वत जी : 1,001

बहुत बहुत धन्यवाद् अभिनीत जी और शाश्वत जी ...

Tuesday, January 13, 2009

फ़ोन करें और थोडी सहायता करें ...

आज हिन् आप निचे दिए गए नम्बर पर फ़ोन करें और भरतपुर अवं लालगंज के घटना के बारे में सरकारी अधिकारीयों से पूछे, की आखिर आज तक क्यों नही इन २ गाँव में सरकारी सहायता उपलब्ध करवाई गई है, पिछले हिन् दिनों भूख के कारण महेंद्र शर्मा नाम के एक आदमी की मौत हो गई, आखिर सरकारी राहत सामग्री में पहुचने में ये देर क्यों हो रही है....

Phone Numbers:
DM Supaul : 9430903553 (mobile) Mr. R. Sharvaran
B.D.O. Chhatapur : 9431818307
Mr. R.K.Singh(Relief operation head) : 9431019011

kam se kam aaj 20 call to jana hin chahiye wo bhi desh ke alag-alag kone se yahi nahi videsh se bhi...

iske alawa aaplog CM ko feedback bhi bhej sakte hain : http://gov.bih.nic.in/Feedback.asp
ya fir unhe mail karen is pate par is ghatna ki jankari den : cmbihar-bih@nic.in

Sunday, January 11, 2009

बाढ़-पीड़ित की जान ली भूख ने

जैसा मैंने अपने पहले पोस्ट में भी लिखा था की बिहार में बाढ़-पीडितों की व्यथा कम नही हुई है . पढिये सुपौल से हमारे एक मित्र की रिपोर्ट:

सुपौल में भूख ने ली महेंद्र की जान

गरीबी के कारण दाह संस्कार नहीं हो सका, परिजनों ने शव दफनाया
भीख मांगकर किसी तरह जिंदा हैं महेंद्र की पत्नी और चार बच्चे

छातापुर (सुपौल)। बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों में पीड़ितों की हालत
दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। छातापुर प्रखंड अंतर्गत लालगंज पंचायत के
भरतपुर गांव में दो जनवरी को 50 वर्षीय महेंद्र शर्मा की भूख से मौत होने
की खबर मिली है। इतना ही नहीं, मौत के बाद भी गरीबी ने उसका पीछा नहीं
छोड़ा। हिन्दू होने के बावजूद उसके दाह-संस्कार के लिए परिजनों के पास
लकड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे। इस वजह से महेंद्र के शव को बगैर जलाए
गड्ढा खोदकर दफन कर दिया गया। उसकी पत्नी रनिया देवी चार बच्चों के साथ
भीख मांगकर अब तक जिंदा है।
हालांकि बिहार सरकार ने बाढ़पीड़ितों के लिए पहली किश्त का मुआवजा (2250
रुपए और एक क्विंटल अनाज प्रति परिवार) जारी किया था लेकिन एपीएल और
बीपीएल के चक्कर में चार महीने बाद भी यह राशि गरीबों तक नहीं पहुंच सकी
है। लालगंज पंचायत की इस घटना ने तब मानवीय संवेदना को झकझोर कर रख दिया
जब राहत से वंचित भीख मांग कर दिन काट रहे महेन्द्र शर्मा को जलाने के
लिए लकड़ी तक नसीब नहीं हो सकी और मजबूरन उसके शव को परिवार वालों ने
मिट्टी में दफन कर दिया। दिवंगत की विधवा रनिया देवी बताती है कि 20
अगस्त को आयी प्रलंयकारी बाढ़ के बाद वे लोग सरकारी शिविर में रह रहे थे
लेकिन शिविर बंद होने के बाद उन्हें अपना गांव लौटना पड़ा। बाढ़ में उनकी
झोपड़ी बह गई थी जिसे किसी तरह रहने लायक बनाया और भीख मांगकर गुजारा करने
लगे। रनिया देवी बताती हैं कि चार-चार शाम के फाके के बाद भूख ने
महेन्द्र शर्मा को बीमार बना दिया और दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में
उन्होंने बिस्तर पकड़ ली थी। बिलखते हुए वह कहती हैं कि खाने के लिए तो एक
दाना अनाज नहीं है इलाज कैसे कराते। अब तो लोग भीख भी नहीं देते हैं।
पहले बाहर से कुछ लोग खाने का सामान बांटने आते थे लेकिन अब कोई नहीं
आता। इस संबंध में मुखिया प्रमिला देवी ने बताया कि महेंद्र शर्मा के
परिवार का नाम एपीएल और बीपीएल सूची में नहीं है जिस कारण इस परिवार को
अब तक कोई सरकारी राहत नहीं मिल सकी है। उन्होंने कहा कि ऐसे 500
परिवारों की सूची बनाकर प्रखंड कार्यालय को दे दी गई है लेकिन सरकार की
तरफ से अब तक मुआवजा या किसी तरह की राहत सामग्री ऐस परिवारों को नहीं दी
सकी है। इस संबंध में प्रभारी बीडीओ अनभिज्ञता प्रकट कर रहे हैं।

बिहार में लोकल मीडिया ने इस ख़बर को प्रकाशित करने से इंकार कर दिया, सरकारी दवाब के आगे मीडिया झुकी है...
ये दशा केवल एक परिवार की नहीं है बल्कि भूखे रहनेवाले ऐसे ९०० परिवार हैं, छातापुर प्रखंड के भरतपुर और लालगंज गाँव में आज तक सरकारी सहायता का कोई भी दर्शन नही हुआ है. और यहाँ की मुखिया श्रीमती प्रमिला देवी (ON THE PAPER) भी इसमें अपनी कोई खास रूचि नहीं दिखा रही हैं. यहाँ तक की उन्होंने आज तक भरतपुर गाँव(जहाँ की महेंद्र शर्मा की मौत हुई) का दौरा भी नहीं किया है, भाई करें भी तो क्यों करें...उनके परिवार का कोई भूखा तो नहीं मर रहा है .....

तो मेरे इस पोस्ट भी उन बाढ़-पीडितों को कोई भला होगा नहीं होगा मुझे पता है, पर कम से कम आपको सचाई तो पता चली . मेरे पास एक और योजना है : हम सभी मिलकर सरकारी तंत्र पर इस मामले में दवाब बढाते हैं . इसका आसन रास्ता है वो मैं आपलोगों कल बताता हूँ ....तब तक आपलोग सोचिये की हम किस दुनिया में जी रहे हैं जहाँ एक तरफ़ Macdonalds और ऐसे कई अमेरिकी रेस्तरां में हजारों रूपये पानी की तरह बहते हैं वहीँ कोई दूसरी तरफ़ भूख से मर जाता है . हम सब मिलकर सरकार को दोष दे कर शांत हो जाते है ...हो गया हमारा काम ख़त्म अपनी जिंदगी तो मजे में चल रही हैं ना दुनिया जाए भाड़ में .....

कल के पोस्ट को पढ़ना न भूलियेगा .....

Tuesday, January 06, 2009

इसका तो यही आदत है ...

इसका तो यही आदत है ....
ये वाक्य अक्सर मेरे जन-पहचान वाले लोग मेरे बारे में कहने लगे हैं ...

आज बोलेगा की बिहार फ्लड रिलीफ़ के काम के लिए मदद चाहिए, कल किसी सूरज को डूबने से बचाने की बात करता है, कभी मुंबई ब्लास्ट विक्टिम्स की मदद की , कभी किसी और बीमार के इलाज के लिए गुहार लगाना....बस इसका यही आदत है ....

ऐसा कोई नहीं जानने वाला बोलता है तो कोई कष्ट नहीं होता हैं, पर जब बचपन के मित्र भी इस तरह की बात करते हैं, मेरे सहायता या किसी के मदद के लिए भेजे गए संदेशों का कोई जवाब नहीं भेजते तो जरुर थोड़ा कष्ट होता है ...

पर दुनिया में कुछ नए मित्र भी मिल जाते हैं जो हमारी इस भावना को समझते हैं और बिना किसी जान-पहचान के भी मेरे उन पुराने स्कूली मित्रों की तुलना में कहीं ज्यादा विश्वास और हौसला अफजाई करते हैं ....कभी-कभी लगता है की जीवन के उतरार्ध में जो मित्र बनते हैं वो ज्यादा समय तक आपका साथ निभाते हैं, क्योंकि ये मित्रता एक बौधिक अस्तर पर होती है ....

केवल मित्र हिन् नहीं हमारे कुछ शिक्षक्गन और रिश्तेदार भी कुछ ऐसा हिन् बोलते हैं ....

अब भाई जिन्हें जो बोलना है बोल लीजये मैं कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि मुझे भी अब लगने लगा है की मेरा तो यही आदत हो गया है....मैं बेशर्म हो गया हूँ ...

Saturday, January 03, 2009

ऊँट पर चले हम ...

अगर आप अपने बच्चे को पैसे के आभाव में स्कूल ऑटो रिक्शा में नहीं भेज सकते तो परेशान होने की कोई बात नहीं ऊँट गाडी है ना .... ये तस्वीर आई है आज के इंडियन एक्सप्रेस के अहमदाबाद संस्करण में । आप भी देखें और बताएं कैसा लगा ये ऊँट गाडी... तो भेज रहे हैं न अपने बच्चों को इस पर:)

ऊँट पर स्कूल चले हम ....:)

चित्र साभार : इंडियन एक्सप्रेस

Thursday, January 01, 2009

पगलू भैया का विकेट गिर गया ...

अरे भैया का बताये आपलोगों को अभी कुछ हिन् दिन पहले हमको मालूम हुआ की पगलू भैया तो खूटे से बंध गए और जनाब एक चिट्ठी-पत्री तक नहीं भेजें घोर कलयुग आ गया है भैया क्या कहा जाए ....

हमारे पगलू भैया २१ नवम्बर २००८ को परिणय सूत्र में बंध गए , हम सभी की तरफ़ से पगलू भैया और भाभी जी को ढेरों बधाईयाँ ...

अब अगर आप नहीं जानते हैं की हम किस पगलू की बात कर रहे हैं तो हम आपको बता देन उनके बारे में कुछ । ये पगलू भैया हैं जो जीवन में कुछ हट कर करना चाहते हैं, हरपल जरुरतमंदों की मदद, पटना के एक समय में युवा नेता और ना जाने क्या-क्या ....

भाभी जी की तो कोई तस्वीर अभी तक पगलू भैया ने नहीं भेजी है, पर पगलू भैया की एक तस्वीर कहीं से ढूंढ कर मैं यहाँ लगा रहा हूँ ।




ऑरकुट कम्युनिटी से पगलू भैया का परिचय :

don't know this pagal , u don't deserve knowing it.. ;=) xx@!#

pagal he..he..he no she,.. pagal


एक कविता पगलू भैया का, जो मैं उनके ब्लॉग से बिना अनुमति के उठा कर यहाँ रख रहा हूँ ....

Main Aaoonga Tujhse Milne!!!



Kitne din ho gayein..... Kitne din????

Kab se tujhe dekha nahi hai.... Kab Se????

Yaad nahi.....

Kya tu abhee bhee waisee hee dikhtee hogi.... Pata nahi!!!

Dekhna main aaoonga, tere paas.... bahut jaldi.... milne tujhse

Kuch bhee nahi to hai mere pass tere liye..... phir ... phir bhee koshish karoonga tujhe kuch de ke aane ko.....

Pata nahi shayad... pata nahi.... kya doonga main tujhe....

kya doonga... kuch bhee to nahi mere pass..... Pata nahi....

Dekhna.... bhoolna mat mujhe..... Main nahi bhoola hoon tujhe....

Pata nahi ... shayad Baris ke paani me sab kuch dhul gaya hoga.... kya dhul gayee hai meri yaad bhee....

Kya wo Baris ka paani, meri yaadon ko baha le gaya... pata nahi....

Khair... main aaoonga milne... tujhse milne!!!!


ठीक है पगलू भैया आप शादी में नहीं बुलाए तो क्या जब भी मिलूँगा सब हिसाब सूद सहित लूँगा....एक बार फ़िर से आपको और भाभी जी को मंगल भविष्य अवं नववर्ष की शुभकामनायें हमलोगों को तरफ़ से .....

वैसे जाते-जाते मैं आपलोगों को बता दूँ की मेरे कुछ और मित्र हैं जो अपने आप को पागल समझते हैं या फ़िर यों कहें की जो पागल बन्ने की हर कसौटी पर खरे उतरते हैं । उनमें से कुछ के नाम मैं इस पोस्ट में लेना चाहूँगा : एक तो हैं भैया चिट्ठाजगत के धुरंधर लिक्खाड़ पर्शांत (पर शांत ) बाबू , दुसरे पुर्नेंदु भाई और एक मेरा मित्र है यहाँ गाँधीनगर में प्रतिक (इसका भी विकेट जल्द हिन् गिरने वाला है ) । इन सब के पागलपन की कहानी किसी और दिन ....अब आप ख़ुद हिन् समझ सकते हैं इतने पागलों का साथी क्या हो सकता है ....पागल और क्या !!!

तो एक बार जोर से सब मिलके बोलो पगलू भैया और पागलपन की जय !!!