Sunday, May 10, 2009

१५ पैसे से ११ रुपया कैसे बनाएं?

हाँ कोई मजाक मैं नहीं कर रहा हूँ ..आप जानते हैं क्या ये तरीका, अगर नहीं तो पढिये ये मेरा पोस्ट आपको पता चल जाएगा ..

अरे भाई जाईए गुजरात के कक्ष(KUTCH) क्षेत्र में फिर आपको इस पहेली का हल मिल जाएगा. इस क्षेत्र में एक खास समुदाय रहता है "Agarias" ये नमक बनाने का काम करते हैं .

ये नमक बना कर कंपनी को मात्र १५ पैसे prati kilo की कीमत पर बेचते हैं , और यही नमक बड़ी-बड़ी कंपनियां ११ रूपये किलो के भावः बेचती हैं. वो बेचारे गरीब भूखो मर रहे हैं और ये कंपनी वाले माला-मॉल हो रहे हैं.

पहले तो कुछ लोग खुदरा बिक्री खुद से जाकर शहर में कर लेते थे, पर जब से ये आयोडीन का चक्कर आया है,ं सादा नमक कौन खरीदेगा ...

इनकी व्यथा को देखने वाला कोई नहीं हैं ...

"गणतर" नाम की एक संस्था इन मजदूरों के बच्चों के पढाई के क्षेत्र में काम कर रही है . हमलोग गणतर और सृष्टी के साथ मिलकर एक यात्रा पर जा रहे हैं . शायद कुछ ज्यादा कर ना पायें इनके लिए पर इनके दुःख-दर्द को और करीब से देख पाउँगा ...और भविष्य में जो भी बन पड़ेगा वो करने का प्रयत्न भी करूंगा ....

वापस आने के बाद अपने अनुभव आप सभी के साथ विस्तार से बाटूंगा .....

6 comments:

मनोज गुप्ता said...

ये वैसा ही है जैसा चिप्स के व्यापार में होता है कि किसान से चार रु किलो आलू खरीदते है और चार सौ रुपये किलो चिप्स बेचते हैं. आप और आप जैसे लोग इतने संवेदनशील हैं और इतनी चिंता करते है जानकर संतोष हुआ. दुष्यंत कुमार कि एक पंक्ति याद आई कि "इस बंद कमरे में एक रोशनदान तो है".
ईश्वर आपकी मदद करे. मेरी शुभकामनायें.

Eternal Rebel said...

Guni Ji , these middlemen are everywhere. See in agriculture! As long as the farmer doesnot get the real price for his goods, India will remain a Third World Country

वीनस केसरी said...

हर शहर के हर मोहल्ले में ये कहानी दोहराई जा रही है
बस तरीका अलग अलग है
आपका वीनस केसरी

Everymatter said...

best of luck to your for this social work

but i think if some training/help under the self helping groups scheme of Indian government is provided to them it may improve the condition of these peoples

L.Goswami said...

sharmnaak hai yah bajarwaad.

Udan Tashtari said...

क्या कहा जाये.