ये वाक्य अक्सर मेरे जन-पहचान वाले लोग मेरे बारे में कहने लगे हैं ...
आज बोलेगा की बिहार फ्लड रिलीफ़ के काम के लिए मदद चाहिए, कल किसी सूरज को डूबने से बचाने की बात करता है, कभी मुंबई ब्लास्ट विक्टिम्स की मदद की , कभी किसी और बीमार के इलाज के लिए गुहार लगाना....बस इसका यही आदत है ....
ऐसा कोई नहीं जानने वाला बोलता है तो कोई कष्ट नहीं होता हैं, पर जब बचपन के मित्र भी इस तरह की बात करते हैं, मेरे सहायता या किसी के मदद के लिए भेजे गए संदेशों का कोई जवाब नहीं भेजते तो जरुर थोड़ा कष्ट होता है ...
पर दुनिया में कुछ नए मित्र भी मिल जाते हैं जो हमारी इस भावना को समझते हैं और बिना किसी जान-पहचान के भी मेरे उन पुराने स्कूली मित्रों की तुलना में कहीं ज्यादा विश्वास और हौसला अफजाई करते हैं ....कभी-कभी लगता है की जीवन के उतरार्ध में जो मित्र बनते हैं वो ज्यादा समय तक आपका साथ निभाते हैं, क्योंकि ये मित्रता एक बौधिक अस्तर पर होती है ....
केवल मित्र हिन् नहीं हमारे कुछ शिक्षक्गन और रिश्तेदार भी कुछ ऐसा हिन् बोलते हैं ....
अब भाई जिन्हें जो बोलना है बोल लीजये मैं कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि मुझे भी अब लगने लगा है की मेरा तो यही आदत हो गया है....मैं बेशर्म हो गया हूँ ...
3 comments:
Eeshwar aapki is aadat ko banaye rakhe.
hausala afjai ke liye dhanyawad Manoj ji...
सच्ची बात कहता हूँ.. जब आपसे ऑरकुट पर जान पहचान हुयी थी तब शुरू में मैंने भी कुछ ऐसा ही सोचा था.. कुछ दिनों तक संदेह कि दृष्टि से भी देखता था.. मगर जब आपको अच्छे से जाना तो आज आपने दोस्तों के बीच मैं हमेशा आपका नाम लेता हूँ और कहता हूँ कि मैं कुछ ऐसे सच्चे लोगों को भी जानता हूँ जो बिना स्वार्थ के हर किसी कि सहायता करते हैं..
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