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एक कविता Suraj के नाम
नागार्जुन यायावरी प्रकृति के कवियों में से माने जाते हैं , जो लिखा लोगों के लिए लिखा । अपना तो उनका कुछ भीनही था । उनका जन्म १९११ में दरभंगा के तरौनी ग्राम में हुआ था । उनका असली नाम वैद्ध्यानाथ मिश्र था । आजउनकी एक कविता मेरे प्यारे Suraj के नाम, मानो ये कविता उसी के लिए लिखी थी नागार्जुन ने ....
आज मैं बीज हूँ
बस, थोडी और उमस
बस, थोडी और धुप
बस, थोड़ा और पानी
बस, थोडी और हवा
बस थोड़ा और भुर्भुरापन
क्या देर है भला बाहर आने में ।
आज मैं बीज हूँ
कल रहुँगा अंकुर
बटुर-बटुर आएगी दुनिया, मुझे देखने को आतुर
आज मैं बीज हूँअलक्षित, ना-चीज हूँ
गर्क हूँ धरती की जादुई कोख में ।
-नागार्जुन ।
1 comment:
बाबा नागार्जुन से जब मिला था तब 10-11 साल का था और उस समय के महत्व को नहीं समझ सका था.. लगा था कि पता नहीं किससे मिल रहा हूं.. 8-10 साल बाद में समझा कि किस अवसर को मैंने खो दिया..
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