Thursday, May 29, 2008

दिल्ली और दलित !!!

मैंने तो सुना था दिल्ली दिलवालों का शहर है , पर आज ये सब कोरा बकवास लग रहा है यहाँ भी वही है जो पूरे भारत में वर्षों से चला रहा है या यों कहें की पूरे विश्व में एक खास वर्ग के साथ हमेशा ऐसा हिन् होता आया है अगरआपलोगों ने दलित के ऊपर अत्याचार की ये नई-ताज़ी कहानी नही पढी तो पहले विस्तार से पढ़ लें :

दलित की इज्जत, लाख रुपये के भीतर ही


हम युवा वर्ग को जागना होगा और ऐसी घटनाओं का मुह्तोड़ जवाब देना चाहिए मेरे समझ से हम इस केस में RTI फाइल कर सकते हैं , की पुलिस ने क्यों नही इस लड़की का केस दर्ज किया ? या फ़िर हम सभिलोग मिलकर "Human Right Commission " को लिख कर इस केस के बारे में बताएँ और उनपे ये दवाब डाला जाए की उस व्यक्ति के ऊपर सख्त से सख्त करवाई हो मुझे कुछ ज्यादा जानकारी तो नही है इन नियमों के बारे में , सो अगर किसी बंधू को इन बातों की जानकारी हो तो हमारा मार्गदर्शन करें हम सब कनकलता जी और उनके परिवार के साथ हैं

और हाँ दलित के ऊपर सोध और भाषान्बजी करने वालों से दोस्तों कोई उम्मीद मत रखिये , ये भाषण देना औरपुस्तकें लिखना उनका पेशा है, जीविकोपार्जन
का ना की वो दलितों का उत्थान करना चाहते हैं और भइया अगरदलित हिन् ना होंगे, दलित से जुड़ी समस्याएँ जब नही होंगी तो वैसे लोग अपना पेट कैसे भरेंगे ? तो कोई अपने पेट पे तो लात नही मारेगा ना !!!

एक कविता : यमराज की दिशा

आज सुबह-सुबह अपने छोटे भाई के पाठ्य पुस्तक में ये कविता पढीसोचा आपलोगों के साथ इसे बाटूंआज के परिपेक्ष्य में यह कविता काफी सटीक हैचंद्रकांत देवताले जी की यह रचना है, "यमराज की दिशा " । आप पढियेऔर ख़ुद हिन् बतायिए की आज के दौर में ये कविता कितनी सार्थक है या नही ....

यमराज की दिशा

माँ की इश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे इश्वर से उसकी बातचीत होते रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुःख बर्दास्त करने का रास्ता खोज लेती है

माँ ने एक बार मुझसे कहा था -
दक्षिण की तरफ़ पैर कर के मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नही है

तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था-
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में

माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नही सोया
और इससे इतना फायदा जरुर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नही करना पड़ा

मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और हमेशा मुझे माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता

पर आज जिधर पैर करके सोओं
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आखों सहित विराजते हैं

माँ अब नही है
और यमराज की दिशा भी अब वह नहीं रही
जो माँ जानती थी

-चंद्रकांत देवताले

आखिरी अंतरा पर आपलोग जरा ध्यान देंगे "पर आज जिधर पैर करके सोओं वही दक्षिण दिशा हो जाती है"

Saturday, May 24, 2008

हाँ मुझे इंग्लिश नही आती ...

आजाद हुए हमे ६० साल से ज्यादा हो गया पर भाषा की गुलामी से अभी तक हम छुटकारा नहीं पा सके हैं मुझे किसी भाषा से कोई परहेज नही है, पर हाँ लोगों की गुलाम मानसिकता से जरुर मन दुखी होता है पूरे भारत का यही हाल है , अगर आपको इंग्लिश भाषा का ज्ञान नही है तो लोग आपको अव्वल दर्जे का बेवकूफ समझते हैं ये लोग अभी भी गुलाम हैं अंग्रेजो के नही अंग्रेजी के ... खास कर के जब हमारे सरकारी महकमे के लोग भी ऐसा करते हैं तो मन और दुखी हो जाता है आप किसी भी सरकारी दफ्तर में जाईए और हिन्दी या अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात कीजये तो वो आपकी बात सीधे मुँह नहीं सुनेगें और जनाब जरा इंग्लिश में बात करके तो देखिये कैसे वो आपको सलाम ठोकने लगेंगे.....

बस अगर कोई काम करवाना है तो आप एक सवाल का जवाब दीजिये, क्या आप हैं

अगर जवाब है हाँ, तो इस देश में हो जाएगा आपका काम आसन, जनाब लोग देंगे आपको सम्मान, आपकी बढेगी शान .....ये है इंडिया मेरी जान !!!


Wednesday, May 21, 2008

क्या यही लोकतंत्र है ?

राहुल वैद नाम के लड़के ने ओरकुट के एक community(संघठन) में सोनिया गाँधी के बारे में कुछ उलटी-सीधी बातेंलिखीकिसी कांग्रेसी चमचे की नजर वहाँ पे पड़ी और जनाब पुलिस में शिकायत दर्ज करने चले गए और भाई पुलिस भी कितनी efficient की तुरंत हिन् उसके नाम ka वारंट निकाल दियाअब उस बेचारे राहुल को गुडगाँव से पूना आना पड़ेगा इस केस के सिलसिले मेंकुछ लोग बोलेंगे अच्छा हुआ "जैसा उसने किया वैसा भरा", पर कहाँ भाई ये बात राज ठाकरे पे क्यों नहीं लागू होती , बाल ठाकरे पे क्यों नहीं, अन्य भड़काऊ भाषण देने वाले राजनेताओं पे क्यों नही लागू होता है......है किसी के पे जवाब ...........

और जहाँ तक ओरकुट की बात है तो वहाँ पे हजारो फेक प्रोफाइल और उलटी-सीधी चीजें पड़ी हैं , शिकायत करने के बाद भी कोई कारवाई नहीं होती है , पर इस बेचारे ने क्या एक कमेंट कर दिया हो गई जेल , क्या यही है prajatantra ?

यहाँ तो वही पुराना डार्विन का
सिद्धांत लगा "Survival of fittest" , या फ़िर गवई भाषा में बोलें तो "जिसकी लाठी उसकी भैस " ।

Orkut community ka link

http://www.orkut.com/Community.aspx?cmm=39208843

news on IBN

http://www.ibnlive.com/news/boy-held-for-slandering-sonia-on-orkut/65642-11.html

aur ye ek aur blog pe kuch baatein legal comments ke saath

http://ortuk.blogspot.com/2008/05/hate-communities-can-be-charged-under.html

तो आप सब अपने-अपने विचार रखें इस बारे में , आप क्या सोचते हैं ये लोकतंत्र की हत्या के समान नही है ?

Sunday, May 18, 2008

एक कविता Suraj के नाम

नागार्जुन यायावरी प्रकृति के कवियों में से माने जाते हैं , जो लिखा लोगों के लिए लिखाअपना तो उनका कुछ भीनही थाउनका जन्म १९११ में दरभंगा के तरौनी ग्राम में हुआ थाउनका असली नाम वैद्ध्यानाथ मिश्र थाआजउनकी एक कविता मेरे प्यारे Suraj के नाम, मानो ये कविता उसी के लिए लिखी थी नागार्जुन ने ....

आज मैं बीज हूँ
बस, थोडी और उमस
बस, थोडी और धुप
बस, थोड़ा और पानी
बस, थोडी और हवा
बस थोड़ा और भुर्भुरापन
क्या देर है भला बाहर आने में ।

आज मैं बीज हूँ
कल रहुँगा अंकुर
बटुर-बटुर आएगी दुनिया, मुझे देखने को आतुर
आज मैं बीज हूँ

अलक्षित, ना-चीज हूँ
गर्क हूँ धरती की जादुई कोख में

-नागार्जुन

Saturday, May 17, 2008

Suraj को बचाओ

Suraj को बचने की मुहीम में हम सभी पूनम जी के साथ जुड़ गए हैं । अगर आप भी इस मुहीम में जुड़ना चाहते है तो एक नजर इस ब्लॉग पे डालें

सूरज को बचाओ

आप भी इस मुहीम में शामिल हो सकते हैं , कुछ नही तो प्रार्थना तो जरुर इस बच्चे के लिए कर सकते हैं ।

आप हमसे ईमेल पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं । मेरा पता है

सादर,
गुनेश्वर आनंद ,
गांधीनगर, गुजरात