Tuesday, October 28, 2008

कैसे मनाये दिवाली ?

आज है दीपावली के त्यौहार का दिन , जब लोग शान्ति खुशी और समृधि के लिए पूजा करते हैं लक्ष्मी माता का , पर मेरे दोस्त जा कर उस बाप से पूछो जो कुछ दिनों पहले अपना बेटा खोया , राहुल के पिता से पूछो जो इन्तेजार में थे की उनका बेटा ५ हजार के जगह ज्यादा पैसों की नौकरी के साथ आएगा इस दीपावली पर , आसाम में पिछले १ महीने में (घुसपैठी बंगलादेशी और वहां के स्थानीय लोगों के संघर्ष में ) मारे गए लोगों से , या फ़िर बिहार-उडीसा के बाढ़ पीडितों से , या फ़िर उडीसा में दंगे में मारे गए लोगों से , २ महीने पहले अहमदाबाद में हुए धमाकों में मारे गए लोगों से और ना जाने अनगिनत भूखे बेसहारा लोगों से पूछों की वो कैसे मनाएंगे दीपवाली ???

जब हमारा पूरा देश सुलग रहा है तो आप कहते हैं "शुभ दीपावली " नही मेरे दोस्त मैं नही मना सकता ये दीपावली .... देश जल रहा है कुछ नही बहुत कुछ करने की जरुरत है....

ऐसे में शिवमंगल सिंह सुमन की एक कविता याद आ रही है:
मेरा देश जल रहा, कोई नही बुझानेवाला

घर-आंगन में आग लग रही
सुलग रहे वन -उपवन,
दर दीवारें चटख रही हैं
जलते छप्पर- छाजन
तन जलता है , मन जलता है
जलता जन-धन-जीवन,
एक नहीं जलते सदियों से
जकड़े गर्हित बंधन
दूर बैठकर ताप रहा है,
आग लगानेवाला,
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला।


भाई की गर्दन पर
भाई का तन गया दुधारा
सब झगड़े की जड़ है
पुरखों के घर का बँटवारा
एक अकड़कर कहता
अपने मन का हक ले लेंगें,
और दूसरा कहता तिल
भर भूमि बँटने देंगें
पंच बना बैठा है घर में,
फूट डालनेवाला,
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला

दोनों के नेतागण बनते
अधिकारों के हामी,
किंतु एक दिन को भी
हमको अखरी नहीं गुलामी
दानों को मोहताज हो गए
दर-दर बने भिखारी,
भूख, अकाल, महामारी से
दोनों की लाचारी
आज धार्मिक बना,
धर्म का नाम मिटानेवाला
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला

होकर बड़े लड़ेंगें यों
यदि कहीं जान मैं लेती,
कुल-कलंक-संतान
सौर में गला घोंट मैं देती
लोग निपूती कहते पर
यह दिन देखना पड़ता,
मैं बंधनों में सड़ती
छाती में शूल गढ़ता
बैठी यही बिसूर रही माँ,
नीचों ने घर घाला,
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला

भगतसिंह, अशफाक,
लालमोहन, गणेश बलिदानी,
सोच रहें होंगें, हम सबकी
व्यर्थ गई कुरबानी
जिस धरती को तन की
देकर खाद खून से सींचा ,
अंकुर लेते समय उसी पर
किसने जहर उलीचा
हरी भरी खेती पर ओले गिरे,
पड़ गया पाला,
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला

जब भूखा बंगाल,
तड़पमर गया ठोककर किस्मत,
बीच हाट में बिकी
तुम्हारी माँ - बहनों की अस्मत।
जब कुत्तों की मौत मर गए
बिलख-बिलख नर-नारी ,
कहाँ कई थी भाग उस समय
मरदानगी तुम्हारी
तब अन्यायी का गढ़ तुमने
क्यों चूर कर डाला,
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला।


पुरखों का अभिमान तुम्हारा
और वीरता देखी,
राम - मुहम्मद की संतानों !
व्यर्थ मारो शेखी
सर्वनाश की लपटों में
सुख-शांति झोंकनेवालों !
भोले बच्चें, अबलाओ के
छुरा भोंकनेवालों !
ऐसी बर्बरता का
इतिहासों में नहीं हवाला,
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला

घर-घर माँ की कलख
पिता की आह, बहन का क्रंदन,
हाय , दूधमुँहे बच्चे भी
हो गए तुम्हारे दुश्मन ?
इस दिन की खातिर ही थी
शमशीर तुम्हारी प्यासी ?
मुँह दिखलाने योग्य कहीं भी
रहे भारतवासी।
हँसते हैं सब देख
गुलामों का यह ढंग निराला
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला।


जाति-धर्म गृह-हीन
युगों का नंगा-भूखा-प्यासा,
आज सर्वहारा तू ही है
एक हमारी आशा
ये छल छंद शोषकों के हैं
कुत्सित, ओछे, गंदे,
तेरा खून चूसने को ही
ये दंगों के फंदे
तेरा एका गुमराहों को
राह दिखानेवाला ,
मेरा देश जल रहा,
कोई नहीं बुझानेवाला

साभार: कविता कोष







Thursday, October 23, 2008

कहाँ गया पवन ?

पवन नाम है उस लड़के kaजिसका बाप पुरी जिंदगी मेहनत करके पढाया और इस लायक बनाने की कोशिश में था की वो उसके बुढापे की लाठी बन सके , माँ की इच्छा थी की बेटा पढ़ लिख कर दो पैसे कमाएगा तो एक पक्का मकान बनाएगा ....पर कहाँ अब मकान और कहाँ किसी ka सहारा उनके बुढापे के सहारे को लूट लिया दरिंदो ने ....कौन हैं ये दरिन्दे या हैं हमारे parjatantra के नेता जो बस जानते हैं
"फ़ुट डालो और राज करो " ....कब तक ये नेता अपना मतलब साधने के लिए आम जनता ka इस तरह मजाक उडाते रहेंगे....जब तक हम अशिक्षा और बेरोजगारी के मारे रहेंगे ये ऐसे फायदा उठाते रहेंगे ....अंग्रेज तो चले गए पर उनकी निति अभी भी यहाँ चल रही है हाँ ये अलग बात है की अब एक भारतीय दुसरे भारतीय पर इसका इस्तेमाल कर रहा है .....

जागरण में छपा ये समाचार पढ़ें पवन के बारे में :

Oct 21, 11:56 pm

बिहारशरीफ/पटना। मुम्बई में मनसे कार्यकर्ताओं के हाथों मारे गए पवन का शव मंगलवार को अपराह्न लगभग 4.30 बजे उसके पैतृक गांव बाराखुर्द लाया गया। सर्वदलीय शोक सभा के लिए पहले शव वाहन को बिहाशरीफ लाया जाना था, लेकिन उपद्रव की आशंका को देख पुलिस ने नूरसराय में ही उसे रोक दिया। इससे स्थानीय लोगों व पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई। आखिरकार शव वाहन बाराखुर्द ले जाया गया। यहां एक घंटे ठहरने के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए फतुहा ले जाया गया। साथ में नालंदा पुलिस की एस्कार्ट पार्टी भी गई। मृतक के पिता जगदीश महतो ने कहा है कि वह बुधवार को मनसे प्रमुख राज ठाकरे व उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिहारशरीफ कोर्ट में हत्या का मुकदमा दर्ज कराएंगे।

पवन का शव पहुंचते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। अभाविप व छात्र जदयू ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे का पुतला फूंका और इस कृत्य की भ‌र्त्सना की। इस बीच, दैनिक जागरण में छपी खबर का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने मृतक के परिजनों को डेढ़ लाख की सहायता राशि दिए जाने की घोषणा की है। उधर, पटना में एयरपोर्ट पर ताबूत में बंद अपने इकलौते बेटे के शव को देखकर पिता जगदीश कुमार बिलख पड़े। एयरपोर्ट पर पवन के पिता के साथ चाचा अमर कुमार और बाराखुर्द के दो दर्जन से ज्यादा लोग मौजूद थे। ग्रामीणों ने राज ठाकरे पर हत्या का मुकदमा चलाए जाने तथा महाराष्ट्र में प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन पर रोक लगाए जाने की मांग की। इधर, नूरसराय में मृत पवन की एक झलक पाने को आतुर भीड़ को ताबूत देखकर संतोष करना पड़ा। शव के बाराखुर्द पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया। ग्रामीण आक्रोशित थे, और घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल था। बाराखुर्द पहुंचने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने पवन के शव पर माल्यार्पण कर संवेदना जताई। नेताओं ने केन्द्र व महाराष्ट्र सरकार से राज ठाकरे के खिलाफ देशद्रोह व हत्या का मुकदमा चलाए जाने की मांग की। इससे पहले, शव लेने एयरपोर्ट पहुंचे विधायक श्रवण कुमार ने घटना का सीधा दोष केंद्र सरकार पर मढ़ते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि बार-बार बिहारियों पर हमला होने के बाद भी केंद्र सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।

25 वर्षीय पवन विज्ञान विषय से स्नातक करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। इसी सिलसिले में रेलवे की परीक्षा में शामिल होने मुंबई गया था। वैसे उसका एलआईसी में सेलेक्शन हो चुका था। पिता श्री कुमार पहले एक सिक्यूरिटी एजेंसी में गार्ड की नौकरी करते थे। एलआईसी में सेलेक्शन के बाद पवन ने उन्हें आगे नौकरी करने से मना कर दिया था। भर्राये गले से श्री कुमार ने बताया कि वह कहता था कि अब मैं काम करुंगा, आप घर पर रह कर आराम करिए। ईश्वर ने मुझे यह कैसा दंड दिया। एयरपोर्ट पर मौजूद पवन के चाचा अमर भी अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहे थे। उन्होंने कहा कि आखिर मुंबई में उससे किसी को क्या दुश्मनी हो सकती थी? वह तो किसी से ऊंचे स्वर में बात भी नहीं करता था। श्री कुमार ने बताया कि गांव में पवन की मां की हालत बेहद नाजुक है। वह खबर मिलने के बाद से ही बार-बार बेहोश हो रही हैं।

Wednesday, October 15, 2008

मेरे जीवन का नशा

किसी रोते हुए को हँसाने का नशा
किसी भूखे को खाना खिलाने का नशा
किसी बाढ़-पीड़ित को सहायता पहुचाने का नशा
किसी अनपढ़ को पढाने का नशा
किसी बुजुर्ग की लाठी बन्ने का नशा


किसी दलित को उसका सामाजिक हक़ दिलाने का नशा
किसी अर्धसत्य वर्ग वाले को मुख्या धारा में लाने का नशा
समाज में जो आ गए हैं हाशिये पर उन्हें फ़िर से मुख्यधारा में लाने का नशा
अपना निज जीवन सर्वस्व पर लुटाने का नशा

हाँ-हाँ यही है मेरे जीवन का नशा

-गुनेश्वर आनंद