Saturday, April 16, 2011

कितने बिनायक ?



बिनायक सेन जैसे ना जाने कितने सामाजिक कार्यकर्ता जेल की चक्कियां पिस रहे हैं . कल का सर्वोच्च न्यायालय का फैसला काफी सुकून देने वाला रहा ... वरना हर चीज से विश्वास उठता जा रहा था ...
क्या देश है, कहीं कोई करोड़ों का घोटाला खुलेआम कर रहा है फिर भी उच्च पद पर कायम है, किसी विश्वविद्यालय का कुलपति खुलेआम उलटे-सीधे काम कर रहा है फिर भी पद पर कायम है , और तो और कसाब जैसे लोगों को भी जेल में अच्छी खासी सुविधा उपलब्ध है . पर अगर आप कोई सामाजिक कार्य कर रहे हैं तो आपकी खैर नहीं है ... आपने ये गलत धंधा चुना क्यों, सरकार इसके सख्त खिलाफ है... अब बिनायक सेन क्यों CMC वेल्लूर से पढाई करने के बाद गरीबों के इलाज में अपना जीवन बर्बाद किये ...
जरा एक नजर बिनायक बाबु द्वारा किये गए गुनाह पर डालें : (साभार : दैनिक भास्कर )
  • जेल में बंद नारायण सान्याल द्वारा विनायक सेन को लिखा गया पोस्टकार्ड। इस पर जेल अथॉरिटी की मुहर लगी हुई थी। इसमें स्वास्थ्य व मुकदमे के बारे में लिखा हुआ था।
  • जेल में बंद मदन लाल बंजारा(सीपीआई-एम के सदस्य) द्वारा सेन को लिखा गया पत्र।
  • एक बुकलेट, जिसमें सीपीआई (पीपुल्स वार) और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के एकता के बारे में लिखा हुआ था।
  • 4 पन्ने के पत्र की फोटोकॉपी। एंटी-यूएस इंपिरियलिस्ट फ्रंट गठित करने संबधी बातें थी।
  • अंग्रेजी में लिखे हुए लेख की फोटो कॉपी। इसका शीर्षक था ‘नक्सल मूवमेंट, ट्राइबल्स एण्ड वूमेंस मूवमेंट’।
मानों ऐसा लग रहा है कि हम ब्रिटिश राज्य में आ गए हों ... जहाँ कोई देशभक्ति से जुड़ा पत्र आपके लिए फ़ासी का फंदा साबित हो सकता था .
ऐसे कई मामले पिछले दिनों आयें हैं ... ये अलग बात है आज के TRP वाले मीडिया के दौर में ऐसे समाचारों की कोई अहमियत नहीं होती है .
कुछ और बिनायक
--> सुधीर ढवले
--> सीमा आजाद
--> लक्ष्मण चौधरी
और कई लोगों को तो सीधा ऊपर का रास्ता हिन् दिखाया जाता है ...
कुछ और समाचार लिंक इस विषय से जुड़े आप देखें :
ये लो राजद्रोह, वो लो राजद्रोह

और तीसरी दुनिया के जनवरी अंक को पढना ना भूलें ...




Saturday, April 09, 2011

सूचना और रोजगार की गारंटी के साथ मौत की भी ...

भाई ये नयी स्कीम है हमारे सरकार की , शायद आपको पता नहीं हो . अगर आप सूचना के अधिकार या रोजगार गारंटी का उपयोग किसी नेक कार्य के लिए करने जा रहे हैं तो आपके मौत की गारंटी मुफ्त में सरकार के तरफ से मिलेगी... हाँ आपके मरने के बाद अगर कोई और इस कार्य को आगे बढ़ने का प्रयास करेगा तो उसका भी यही हश्र किया जाएगा.

इस लिए इन नए योजना का लाभ उठाने से पहले जरा इस पर आप एक बार जरुर गौर फरमा लें. और भाई ये मत सोचना की आम जनता आपके सहयोग के लिए आगे आएगी ... हमें तो अपनी दाल-रोटी और जुगाड़ से मतलब है बाकी दुनिया जाए भाड़ में ...

और हाँ स्तिथि देश के हर कोने में एक जैसी है ...

MNREGA

एक और

Saturday, February 26, 2011

नो स्मोकिंग इन कैम्पस... एक भद्दा मजाक

इस देश में जो भी नियम बनते हैं केवल नियम के लिए हिन् बनाये जाते हैं... २००८ में ये नियम आया की किसी भी सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करना वर्जित होगा.. जो इसका उल्लंघन करेंगे उन्हें २०० का दंड देना होगा .

और हो क्या रहा है जरा एक नजर देखें ...
सबसे पहले शैक्षणिक स्थलों का जायजा लिया जाए . आप देश के किसी भी प्रसिद्ध संस्थान में जाएँ वहां आपको कैम्पस में बच्चे खुलेआम फूंकते हुए नजर आ जायेंगे ... बच्चे तो बच्चे शिक्षकगण भी शामिल पाए जायेंगे . खुद इस मुद्दे पर पत्रिका में लिखेंगे नियम बनायेंगे और फिर खुद उल्लंघन करेंगे ... फिर ऐसे नियम बनाये हिन् क्यों जाते हैं . आप जायिए IIM अहमदाबाद उसके दरवाजे पर हिन् आपको धुम्रपान की सारी सुविधा मिल जायेगी. आप जायिए NIFT गांधीनगर, उसके कैम्पस से ५० मीटर की दुरी पर सब उपलब्ध होगा ... बहुत हिन् मन खिन्न हो जाता है ऐसे दृश्य को देख कर. अभी मैं भी एक कॉलेज में पढ़ा रहा हूँ .. चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता हूँ .


ऐसे न जाने कितने नियमों का उल्लघन हमारी आँखों के सामने होते रहता है और हम मूकदर्शक बनकर देखते रहते है ...

ऐसे नियम तो बस एक मजाक हिन् हैं और क्या हम कह सकते हैं ...

Monday, November 22, 2010

कोसी यात्रा २०१०

हमारे मित्र चन्दन जी ने इस वर्ष भी कोसी की यात्रा करने का मन बनाया है और वहां के गरीब लोगों के बीच कम्बल बाँटने के पिछले वर्ष के काम को इस वर्ष भी जारी करने का निश्चय किया है . ये सिलसिला २००७ से शुरू हुआ है ...
और हमलोग पिछले ३ वर्षों से लगातार इस क्षेत्र में ये कार्य करने की कोशिश कर रहे हैं . एक कम्बल का मूल्य करीब १२५-१५० रूपये आता है . पर ये रकम इन गरीब लोगों के लिए काफी बड़ी होती है... ठंडक के दिन में इस क्षेत्र में कड़ाके की ठण्ड पड़ती है ... इनके लिए ये १ कम्बल जीवनदायनी सिद्ध होती है .. प्रति वर्ष बाढ़ आने के कारन इस क्षेत्र में गरीबी का प्रभाव कुछ ज्यादा हिन् है..

तो हम में से अगर हर कोई १-१ कम्बल दान करने का भी प्राण करे तो कई गरीबों की जान बच सकती है...

आप सभी ब्लॉगर बहनों-भाइयों से सविनय निवेदन है की इस कार्य में सहयोग करें ...

आप इस बारे में ज्यादा जानकारी हमारे बाढ़ बचाव कार्य के ब्लॉग पर देख सकते हैं ...

Monday, August 16, 2010

क्या वाकई हम स्वतंत्र हैं?...

स्वतंत्र हुए हमें ६३ साल हो गए... हर साल १५ अगस्त को हम इसका जश्न भी मनाते हैं, लता जी की आवाज में सुबह-सुबह "ऐ मेरे वतन के लोगों ..." और न जाने कितने देश भक्ति गीत सुनते हैं .. कुछ मीठा भी खाते हैं ध्वजारोहण के बाद और फिर दिन भर का आराम यही है हमारा स्वतंत्रता दिवस ...

अब किसी भी स्वतंत्रा दिवस समारोह में जाने की इक्षा नहीं होती है ...सब एक ढकोसला लगता है ..क्या वाकई हम स्वतंत्र हैं? नहीं ...पहले अंग्रेजों का राज था , और आज भ्रष्ट नेता और अफसरशाही का ... पहले गैरों ने लूटा और आज अपनों ने ...
आज भी हमारा देश गुलाम है भूखमरी का , भ्रष्टाचार का , चापलूसों का ...और न जाने ऐसे कई भयंकर बिमारियों का ...
अगर आप यहाँ सत्य के लिए आवाज उठाओ तो मौत की गारंटी पक्की है ...न जाने पिछले १ साल में कितने RTI कार्यकर्ता की मौत हुई है ...अभी कुछ दिन पहले अहमदाबाद में RTI कार्यकर्ता अमित जेतवा की हत्या हाईकोर्ट परिसर के बाहर कर दी गयी है ...जांच चल रही है पर पता है कुछ नहीं होने वाला है ...कुछ महीने पहले पुणे में रत्नाकर शेट्टी की हत्या हुई , आज तक CBI जाच में कुछ भी सामने नहीं आया है ...और ना जाने ऐसे कितने केस हैं ...

देश में भूखमरी की हालत कई अफ़्रीकी देशों से भी ख़राब है ...और हम इस स्वतंत्रा पर गर्व करते हैं ...जब दिल्ली में लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और देश के विकास यात्रा की बात करते हैं उसी समय ना जाने कितने बच्चे इस देश में अकालमृत्यु के शिकार हो जाते हैं...

मुझे शर्म आती है ऐसी आजादी पर और खास करके ऐसे आजादी के महोत्सव पर ...अभी देश आजाद नहीं है ...एक और लड़ाई की जरुरत है और ये लड़ाई पहले की आजादी की लड़ाई से कहीं ज्यादा मुश्किल है क्योंकि हमें अपनों से हिन् लड़ना हैं...

परसाई जी के एक पुराने व्यंग्य की कुछ पंक्तिया आपलोग पढ़िए इस अवसर पर ...

गणतन्त्र का तोहफा
गणतन्त्र का छठवाँ वर्ष भी पूरा हुआ .
अपूर्व सफलता का सेहरा जबरदस्ती हमारे सर बाँधा गया !
समाजवादी ढंग की रचना की घोषणा हो गयी . केवल घोषणा हो गयी, याने कांग्रेस के वैज्ञानिकों ने सुख का कृत्रिम सूरज बनाकर अवाडी में दिखाया और फिर जवाहर जैकिट की जेब में रख लिया, ताकि जनसभाओं में जेब में से निकलकर दिखाया जा सके .

पंडित नेहरु की विदेश यात्रा हुई और भारत शांति का मसीहा बन गया . दुनिया में शांति कायम कर रहा है

घर में शांति की जरुरत नहीं है . बाहर देश का नाम ऊँचा होने से उस देश के आदमी को भूख नहीं लगती . इसलिए जब-जब पंडित नेहरु शांति-यात्रा की तब-तब इस देश के गरीबों को अजीर्ण हो गया !

गरीब और दुबला हुआ . धनि और मुटाया .

और इस तरह गणतन्त्र का छठवाँ वर्ष समाप्त हुआ . सफल हुआ .
अनेक वर्ष ऐसे ही आते रहें और इसी तरह चलता रहे . मंत्रियों की संख्या बढे, शोषण के नए तरीके निकलें, कांग्रेसी बैल के सींग और नुकीले हों, भ्रष्टाचार दिन-दिन बढ़ें, गुंडागिरी पनपे, विधानसभा सदस्यों का भत्ता बढे, पुलिस को नींद की दवा वितरित हो .