मैं बात कर रहा हूँ सत्येन्द्र दुबे जी की ....कल पटना में एक अदालत ने ३ लोगों को इस केस में आजीवन कारावास की सजा दी...
ये सजा न्याय के नाम पर नौटंकी नहीं तो और क्या है...मैं तो कहता हूँ की इन तीनों को हिन् सजा देनी थी सीबीआई को तो फिर ये ६ साल और ३ महीने की देरी क्यों...कोई अपनी जान देश के ऊपर न्योछावर किया और उसे आप एक चोरी और लूटपाट का केस बना कर छोड़ देते हैं ...इस से तो अच्छा अंग्रेजी राज था जहाँ देश के लिए मरने वालों को शहीद का दर्जा तो कम-से-कम मिलता था ...यहाँ तो वो भी नसीब नहीं ...
और जरा सीबीआई का बयान पढ़िए ...
The CBI conducted “an impartial, fair and professional investigation in the case,” the agency said in a statement.इस से अच्छा होता की इस केस की कोई जांच नहीं होती ...ना हिन् इतने धन की बर्बादी होती और ना हिन् आम आदमी को एक आशा लगी रहती की सीबीआई जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ...
मैं बस सीबीआई से इतना हिन् कहना चाहूँगा की न्याय नहीं दिलवा सकते तो नहीं दो ...पर एक देशभक्त की शहादत को चोरी के केस में मत बदलो...सत्येन्द्र दुबे की हत्या इन तीन लोगों ने नहीं इस देश के भ्रष्ट नेता और माफियाँ वाले लोगों ने की है ...ये कोई चोरी या लूटपाट का केस नहीं है ...दुबे जी ने अपनी जान सत्य की लड़ाई के लिए न्योछावर की है ...और उन्हें सीबीआई या यहाँ की भ्रष्ट न्याय प्रणाली से कोई प्रमाणपत्र नहीं चाहिए...