Thursday, April 03, 2008

खबर लहरिया

खबर लहरिया पढ़ रहा हूँ
खबर लहरिया एक पाक्षिक समाचार पत्र है जो चित्रकूट की दलित महिलाएँ चलाती हैं . अपने आप में एकदम अनूठा है ये अखबार. समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ इस समाचार पत्र ने जोरदार आवाज उठाई है और जिस चित्रकूट के घाट पे कभी गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण की रचना की वहीं से ये महिलाएं इस समाचार पत्र को चला रहीं हैं . मुझे पुरा विश्वास है की इनका समाचार पत्र अपने मकसद में जरुर सफल होगा.

खबर लहरिया के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए एक नजर निचे दिए गए लिंक पे :

वर्तमान में इस समाचार पत्र के पाठकों की संख्या १५०० तक पहुच गई है .

Tuesday, April 01, 2008

सूरज कहीं डूब ना जाए ...

साभार जागरण पटना :

पटना। दोनों किडनी फेल हो चुके सूरज को राजधानी के बच्चों ने अपने बूते लोगों को जागरुक कर उसकी किडनी बदलवाने में मदद तो कर दी पर अब सूरज का संकट यह है कि उसके पास दवा तक लिए पैसे नहीं। एक दिन की दवा पर हजार रुपए का खर्च आता है। कहां से लाए सूरज इस राशि को?

दर-दर गुहार लगा रहा वह और फिर निराश हो यह कहता है कि अब हिम्मत हार रहा हूं।

फतुहा का रहने वाला सूरज एक समय साइंस कालेज का होनहार छात्र था। सूरज के दोनों किडनी फेल होने की खबर सुनकर जगदेव पथ की रहने वाली पूनम सिंह उसके पास पहुंची और फिर सूरज के लिए अभियान चलाकर उसके इलाज की व्यवस्था करायी। फतुहा में सूरज के लिए बच्चों व स्थानीय लोगों ने अभियान चलाया। सूरज की मदद इतनी हुई कि एक स्थानीय अस्पताल ने सूरज को उसके भाई की सहमति से उनकी किडनी को प्रत्यारोपित कर दिया। पूरे आपरेशन के लिए थोड़ी भी राशि नहीं ली अस्पताल ने।

आपरेशन के बाद सूरज को पूनम सिंह अपने जगदेव पथ स्थित फ्लैट में रख रही है। उसके इलाज पर होने वाली पूरी राशि व भोजन का प्रबंध अपने स्तर से कर रही है। पूनम का कहना है कि अब उसकी हिम्मत भी जवाब दे रही है। आखिर कितने दिनों तक वह सूरज को अपने पास रखेंगी। दवा के लिए मोटी राशि का प्रबंध कहा से होगा? सूरज को डायबिटिज भी हो गया है। वह चाहता है कि सरकार अपने स्तर से उसके लिए दवाईयों की व्यवस्था कर दे।


आपने पढ़ा न की बच्चे और श्रीमती पूनम सिंह जी किस कदर सूरज को बचाने में लगे हुए हैं. तो क्या आप नहीं चाहते सूरज अपनी बची हुई जिंदगी जिए न की अकाल मृत्यु का शिकार हो जाए .....मैं इस बच्चे तक पहुचने का रास्ता ढूंढ रहा हूँ ....