Friday, June 22, 2007

एक किवता सन् 1857 की आजादी के समय का

हम हैं इसके मािलक, िहनदुस्तान हमारा
पाक वतन है कौम का, जन्नत से भी प्यारा
ये हैं हमिर िमल्िकयत, िहनदुस्तान हमारा
इसकी रुहािनयत से, रोशन है जग सारा
िकतना कदीम िकतना -ईम, सब दुिनया से न्यारा
आया िफ़रंगी दूर से, ऐसा मंतर मारा
लूटा दोनो हाथों से, प्यारा वतन हमारा
आज शहीदों नें है तुमको, अहले-वतन ललकारा
तोड़ो गुलामी की जंजीरं, बरसाओ अंगारा
िहंदु-मुसलमं-िसख हमारा, भाई-भाई प्यारा
यह हैं आजादी का झंडा, इसे सलाम हमारा ।।

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