Monday, December 28, 2009

तुम क्या उनके परिवार के हो ?

बहुत दिनों से कुछ लिख नहीं रहा था ...लिखने की इक्षा मर गयी है ..क्या फायदा है लिख कर जो होना है वही होगा . अपने आप को कई बार इतना असहाय महसूस करता हूँ की ...

अभी १-२ दिन पहले देखा एक इंजीनियर(उपेन्द्र शर्मा) के परिवार वालों को फिर से धमकाया जा रहा है , उन्हें मारने की धमकी दि जा रही है . इन सब के बाद भी इनका केस थानेदार लिखने को तैयार नहीं है . इस समाचार को पढने के बाद मैंने सोचा क्यों न उस जिला के SP से संपर्क किया जाए और उनसे अनुरोध किया जाए की इस केस को दर्ज करें और उपेन्द्र शर्माऔर उनके परिवारवालों के हिफाजत का प्रयाप्त इन्तेजाम किया जाए .

आप सभी को जानकार शायद आश्चर्य होगा (वैसे नहीं होना चाहिए !!!) की जब मैंने SP साहब से बात की ती वो काफी गुस्से में आ गए और पूछे की "तुम क्या उनके परिवार के हो ?" मैंने कहा नहीं .. तो उनका जवाब था "अपने काम से मतलब रखो और ज्यादा दिमाग मत लगाओ , अभी तुम्हे जीवन में बहुत कुछ सीखना होगा ..."

इतना कह कर जनाब ने बिना मेरा जवाब सुने हिन् फ़ोन काट दिया ...

तब से ये प्रश्न मेरे जेहन में बार-बार आ रहा है "तुम क्या उनके परिवार के हो ?"